UK-India CETA: भारत में लक्ज़री और स्पोर्ट्स कारों के आयात में नई संभावनाएँ
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हाल ही में हुए Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) ने देश के ऑटोमोबाइल बाजार में एक नई दिशा दी है। इस समझौते के तहत, UK से भारत आने वाली लक्ज़री और स्पोर्ट्स कारों के आयात पर लगने वाले शुल्क में भारी कमी की संभावना बनी हुई है। इससे भारत में इन महंगी गाड़ियों की कीमतें घटने की उम्मीद है।
क्या है CETA और इसका उद्देश्य?
UK-India CETA का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापारिक बाधाओं को कम करना है। इस समझौते के तहत, भारत ने UK से आने वाले विशेष तरह की कारों पर आयात शुल्क में कटौती का प्रावधान किया है। इसमें खास तौर पर वह कारें शामिल हैं, जिनमें बड़ा इंजन होता है और जो महंगी खंड में आती हैं।
अधिकारियों का कहना है कि यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक हितों को सुरक्षित करने के साथ-साथ भारत की घरेलू ऑटो उद्योग को भी संरक्षण देता है।
आयात शुल्क में कमी से क्या होंगे लाभ?
इस समझौते के अनुसार, UK से आने वाली CBUs (Completely Built Units) यानी पूरी तरह से तैयार वाहनों पर अधिकतम 70 प्रतिशत से अधिक की छूट मिल सकती है। वर्तमान में, भारत में इन पर 110 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है, जो बहुत अधिक है। ऐसी कटौती से इन महंगी कारों की कीमतें काफी घटेंगी और ग्राहकों को विकल्प भी बढ़ेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत में महंगी लक्ज़री और स्पोर्ट्स कारों की संख्या बढ़ सकती है, साथ ही इन वाहनों की उपलब्धता भी आसान हो जाएगी।
सावधानियां और संरक्षणात्मक कदम
हालांकि, इस समझौते में भारत ने अपनी सुरक्षा भी बरकरार रखी है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष सेगमेंट जैसे मध्यम और छोटे इंजन कैपेसिटी वाली कारें या सस्ते इलेक्ट्रिक वाहनों पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
इसके अलावा, पहली पांच साल में इलेक्ट्रिक, हायब्रीड और हाइड्रोजन से चलने वाली कारों पर कोई शुल्क कटौती नहीं होगी। भारत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि घरेलू ऑटो उद्योग को प्रतियोगिता से मजबूती मिले और वह अपनी तकनीक को विकसित कर सके।
कितनी होगी कीमतों में कमी?
अधिकारियों के अनुसार, यदि यह समझौता पूरी तरह लागू होता है, तो लगभग 70 प्रतिशत से अधिक की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है। खासतौर पर वह कारें जिनकी कीमतें अब करोड़ों में हैं।
मसलन, Rolls-Royce,jaguar Land Rover, Aston Martin जैसी ब्रांड्स की कारें, जो आमतौर पर भारत में 1 करोड़ रुपये से अधिक की होती हैं, अब कीमतों में कमी के साथ अधिक लोगों तक पहुंच सकती हैं।
भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव हो सकता है?
इस समझौते से भारत में लक्ज़री और स्पोर्ट्स कारों की बिक्री में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इससे न सिर्फ ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे, बल्कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार मंडली का मानना है कि इससे भारत का ऑटो सेक्टर ग्लोबल स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है।
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, इस कदम के साथ ही कुछ चुनौतियां भी हैं। बड़ी कारें और महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि से घरेलू छोटे और मझोले उद्योग पर प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि घरेलू निर्माताओं को पर्याप्त समय और मार्गदर्शन मिले ताकि वह अपने उत्पाद को बेहतर बना सकें।
अंत में: क्या बदलाव संभव है?
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता भारत में लग्ज़री कारों का बाजार बदल सकता है। यदि कीमतें घटती हैं, तो यह आम लोगों के लिए भी अधिक नए विकल्प खोल सकती हैं।
यह कदम, देश के ऑटो उद्योग में नए लक्ष्यों की ओर एक संकेत है, जहाँ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बल मिलेगा।
आपकी इस विषय पर क्या राय है? नीचे कमेंट करें और हमें बताएं कि आप इन बदलावों को किस तरह देखते हैं।
स्रोत:
यह समझौता भारत के ऑटो सेक्टर में नई उम्मीदें जगा रहा है, लेकिन साथ ही यह घरेलू उद्योग की चुनौतियों और अवसरों का भी संकेत है। आने वाले समय में देखने वाली बात होगी कि यह कदम कितना सफल होता है।