क्या ट्रंप का ‘Trojan Horse’ वैश्विक नियंत्रण की नई रणनीति है? जानिए पूरा मामला

परिचय: ट्रंप के ‘Trojan Horse’ का रहस्य

हाल ही में, विश्वस्तरीय राजनीति और आर्थिक जगत में चर्चा का विषय बन रहे विवादास्पद मामले का खुलासा हुआ है, जिसे मीडिया एवं विशेषज्ञ कई बार “ट्रंप का Trojan Horse” कह कर पुकार रहे हैं। इस लेख में हम इस जटिल गुत्थी को समझने का प्रयास करेंगे। यह कहानी एक जाल का हिस्सा है, जिसे बड़ी ही रणनीति से बुना गया है।

गुप्त योजना का खुलासा: G20 मूवी और वैश्विक एजेंडा

कैथरीन ऑस्टिन फिट्स (Catherine Austin Fitts) जैसी विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना का आधार वाशिंगटन और सिलिकॉन वैली की गुप्त योजनाएँ हैं। उन्हें एक फिल्म के माध्यम से इस एजेंडा को प्रकट किया गया, जिसे G20 मूवी कहा जाता है। इस फिल्म में दिखाया गया कि वैश्विक बैंकिंग व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए एक नई प्रणाली लाई जा रही है, जिसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं stablecoins जैसे USDT और USDC। यह वेबिनार और वीडियो क्लिप्स के माध्यम से विश्व को भ्रमित करने का एक प्रयास था। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार की योजनाएँ आम जनता को चकाचौंध कर उस दिशा में ले जाने का काम कर रही हैं, जिसमें उनका स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकता है।

Stablecoins और वैश्विक नियंत्रण की दिशा

Stablecoins, जैसे Tether और USD Coin, को अमेरिकी डॉलर के साथ tether किया गया है। इनका मकसद मौद्रिक स्थिरता दिखाना है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये मुद्रा देश-देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा बन सकती हैं।
उदाहरण: एल साल्वाडोर का Bitcoin प्रयोग असफल रहा, क्योंकि यह वास्तविक decentralization नहीं था बल्कि डॉलर का दबदबा कायम रखने का एक माध्यम था।

कैथरीन फिट्स का कहना है कि इस तरह की क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी और काली अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है। अभी हाल में पारित GENIUS Act जैसी विधायिकाएँ इसी दिशा में कदम हैं। यह विधायिका वाशिंगटन को इस नई डिजिटल प्रणाली को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देगी।

वित्तीय धोखाधड़ी और मुद्रा की अस्थिरता

भारत सहित विश्व के कई देशों का वर्तमान आर्थिक सिस्टम बहुत ही जटिल स्थिति में है। अमेरिकी सरकार ने सैकड़ों ट्रिलियन डॉलर की रकम को काले बजट और रक्षा ठेकेदारी के माध्यम से बंद कर दिया है।
अध्ययन बताता है कि 21 ट्रिलियन डॉलर की रकम ‘गायब’ हो चुकी है, और यह पैसा बाहर के देशों में ऑफशोर खातों में है।
विशेषज्ञों का कहना है कि stablecoins का इस्तेमाल इन काले धन को वैध बनाने के लिए किया जा रहा है। इससे अमेरिकी ट्रेजरी की मांग बढ़ेगी, और डॉलर के प्रभुत्व को मजबूत किया जाएगा। इस प्रक्रिया में, फेडरल रिजर्व अधिक मुद्रा छाप रहा है, जिससे महंगाई और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।

Big Tech और वित्त का मिलन

प्रौद्योगिकी कंपनियों का वित्तीय एकीकरण पूरे विश्व में हो रहा है। Palantir जैसी AI कंपनियां अब सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
यह AI क्रिप्टो ट्रैन्सेक्शन्स पर नजर रख रहा है, और संदिग्ध व्यक्तियों को टैग कर रहा है। यदि यह प्रणाली पूरी तरह से लागू हो जाती है, तो सरकार निजी stablecoin कंपनियों को खातों को फ्रीज करने का आदेश दे सकती है। यह एक तरह का निगरानी और नियंत्रण का नया युग है।

ब्रिक्स और दुनिया का multipolar मुकाबला

2022 में Russia को SWIFT से बाहर किया गया था, तो BRICS देशों ने अपने कदम बढ़ाए। ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने डॉलर से बाहर जाने के लिए नई भुगतान प्रणालियों का प्रयोग शुरू किया।
उदाहरण: चीन ने रेनमिनी में तेल की खरीद-बिक्री और gold-backed भुगतान की शुरुआत की।
इन कदमों ने अमेरिकियों को परेशान कर दिया है, और उन्होंने आर्थिक प्रतिबंधों का सहारा लिया। यदि यह कदम जारी रहता है, तो वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बदल सकती है, और डॉलर का प्रभुत्व कमजोर पड़ सकता है।

संबंधित रणनीतियाँ और भू-राजनीतिक संकट

जैसे-जैसे ये देश अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित कर रहे हैं, वैसे-वैसे अमेरिका और उसके सहयोगी उन्हें आर्थिक दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रम्प की सरकार ने भारत, ब्राज़ील और चीन पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है।
यह सब मिलकर एक multipolar विश्व के निर्माण की दिशा में कदम है, जहां नई शक्तियों का उदय हो रहा है।

भविष्य की दिशा: महामारी से लेकर राजनीति तक

COVID-19 महामारी के दौरान, देखा गया कि कैसे विश्व की जनता को मास्क, लॉकडाउन, और टीकाकरण के नाम पर नियंत्रण में लिया गया। WHO और सरकारें इस योजना का हिस्सा थीं, और कहा गया कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कदम भी एक बड़े नियंत्रण के हिस्से थे, ताकि जनसंख्या को व्यवस्थित रूप से घटाया जा सके।
इसी क्रम में, ट्रंप की ‘tax refunds’ और ‘UBI’ जैसी योजनाएँ भी इस नियंत्रण के उपकरण हैं।

निष्कर्ष: चेतना और सावधानी की जरुरत

यह कहानी हमें यह विचार करने पर मजबूर कर देती है कि कहीं हम आल्प्स के नीचे छुपे इस जाल में फंस तो नहीं गए हैं। विश्व के कई नेता और विशेषज्ञ इस दिशा में सतर्क हैं।
इस विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करें और अपने विचार शेयर करें।
अंत में, हमारी जिम्मेदारी है कि हम जागरूक रहें और हर कदम सोच-समझ कर लें।
जानिए अधिक जानकारी के लिए इंडियन एक्सप्रेस और इकनॉमिक टाइम्स जैसी विश्वसनीय साइट्स से अपडेट रहें।

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