जब मैं पहली बार ट्रेन से दिल्ली से काशी की यात्रा पर निकला था, तो मन में एक अलग ही उत्साह था। रास्ते में खिड़की से बाहर झाँकते हुए खेतों और छोटे-छोटे गाँवों को देखना, साथ में चाय की चुस्कियों के साथ सहयात्रियों से गपशप करना—ये सब एक जादुई अनुभव था। लेकिन आज के दौर में यात्रा का मतलब सिर्फ ट्रेन या बस में सफर नहीं रहा। भारत में तकनीक की बयार ने ट्रैवलिंग को एक नया रंग दे दिया है, और इसके पीछे हैं हमारे देश के अनोखे ट्रैवल स्टार्टअप्स। ये स्टार्टअप्स न सिर्फ यात्रियों की जिंदगी आसान बना रहे हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, पर्यावरण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं। आज मैं आपको इन नए साथियों की कहानियों में ले चलता हूँ, जो मेरी तरह हर उस इंसान के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हैं जो घूमने का शौक रखता है।

पहला नाम जो मेरे दिमाग में आता है, वो है उड़ान (Udaan), जो भारत के छोटे-छोटे हवाई अड्डों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है। जब मैंने पहली बार सुना कि सरकार ने 2016 में इस स्कीम को शुरू किया, तो सोचा कि ये तो बस एक सरकारी योजना होगी। लेकिन धीरे-धीरे इसके तहत स्टार्टअप्स ने कम लागत वाले विमानों की सुविधा शुरू की, और अब छोटे शहरों जैसे जयपुर, भुवनेश्वर या गुवाहाटी से दिल्ली तक का टिकट महज 2,500-3,000 रुपये में मिल जाता है। मेरे एक दोस्त ने पिछले साल पोर्ट ब्लेयर की यात्रा उड़ान के जरिए की थी, और उसने बताया कि टिकट बुक करने में सिर्फ 10 मिनट लगे। उसने कहा, “पहले तो सोचा कि इतनी सस्ती उड़ान में सेवा कैसी होगी, लेकिन विमान साफ था और स्टाफ भी मददगार था।” ये स्टार्टअप्स ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी हवाई यात्रा का मौका दे रहे हैं, जो पहले उनके लिए सपना था।
फिर बात करते हैं ओला आउटस्टेशन (Ola Outstation) की, जो मेरे जैसे लोगों के लिए वरदान साबित हुई है जो लंबी सड़क यात्राओं का मज़ा लेना चाहते हैं। एक बार मैंने अपने परिवार के साथ आगरा जाने का प्लान बनाया था, और ओला आउटस्टेशन से एक SUV बुक की, जो 5,000 रुपये में एक दिन की यात्रा के लिए मिल गई। रास्ते में हमने मथुरा में थोड़ा रुककर प्रसाद लिया और फिर ताजमहल का दीदार किया। ड्राइवर इतना अनुभवी था कि उसने हमें लोकल खाने की जगहें भी बताईं, जहाँ पेठा और दालमोठ का स्वाद लाजवाब था। यूजर्स का अनुभव बताता है कि इस सर्विस से समय और पैसे दोनों की बचत होती है, खासकर जब आप ग्रुप में घूमने जाते हैं। हालांकि, कभी-कभी ट्रैफिक या ड्राइवर की देरी से थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन ओला की कस्टमर सपोर्ट टीम जल्दी हल निकाल देती है।
अब एक और रोमांचक नाम है ट्रैवल ट्राइब (Travel Trikon), जो एडवेंचर ट्रिप्स के शौकीनों के लिए बना है। मैंने पिछले साल अपने दोस्तों के साथ हिमाचल के ट्रेकिंग टूर के लिए इनसे संपर्क किया था। एक 4-दिन की ट्रेकिंग पैकेज की कीमत लगभग 8,000 रुपये प्रति व्यक्ति थी, जिसमें स्टे, खाना और गाइड शामिल था। हमने मनाली से हामpta पास तक का सफर किया, जहाँ बर्फ से ढके पहाड़ों और ठंडी हवा ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। एक स्थानीय गाइड ने हमें बताया कि ये स्टार्टअप स्थानीय लोगों को रोजगार देता है, जैसे कि पोर्टर और कुक, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है। एक यूजर ने शेयर किया कि शुरू में ऊंचाई से डर लगा, लेकिन टीम का सपोर्ट इतना अच्छा था कि वो अब हर साल ट्रेकिंग पर जाती है। ये स्टार्टअप न सिर्फ साहसिक यात्रा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर देता है।
अगर आप ऐतिहासिक स्थलों को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो मेकमाईट्रिप (MakeMyTrip) का नया फोकस आपको प्रभावित कर सकता है। पिछले साल मैंने अपनी माँ के साथ वाराणसी की यात्रा प्लान की, और मेकमाईट्रिप से होटल और गंगा आरती की टिकट बुक की। कुल खर्च करीब 6,000 रुपये था, जिसमें 3-रात का स्टे और स्थानीय गाइड शामिल था। गाइड ने हमें घाटों की कहानियाँ सुनाईं और सुबह की आरती में शामिल होने का मौका दिया, जो मेरे लिए भावनात्मक अनुभव था। एक यूजर ने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म पर ऑफर्स इतने आकर्षक होते हैं कि वो हर छमाही छुट्टी में कहीं न कहीं घूमने निकल पड़ते हैं। हालांकि, कभी-कभी वेबसाइट पर देरी या कैंसिलेशन रिफंड में समय लगता है, लेकिन फिर भी ये स्टार्टअप ट्रैवलर्स के लिए भरोसेमंद साथी बन गया है।
हाल के सालों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और यही वजह है कि ईको-फ्रेंडली ट्रैवल स्टार्टअप्स भी उभर रहे हैं। ग्रीन राइड्स (Green Rides) एक ऐसा ही उदाहरण है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों से सैर करवाता है। मैंने पिछले महीने दिल्ली से आगरा की यात्रा इसके जरिए की, और एक दिन का राउंड ट्रिप 4,500 रुपये पड़ा। वाहन शांत था, और ड्राइवर ने बताया कि ये कंपनी कार्बन उत्सर्जन कम करने की कोशिश में है। एक यूजर ने शेयर किया कि उन्हें प्रदूषण से राहत मिली और सफर आरामदायक था, लेकिन चार्जिंग स्टेशनों की कमी कभी-कभी चिंता का विषय बनती है। फिर भी, ये स्टार्टअप नई पीढ़ी के लिए एक सकारात्मक बदलाव ला रहा है, जो पर्यावरण को बचाने के साथ घूमना भी चाहते हैं।
ट्रैवल स्टार्टअप्स की बात हो और खाने-पीने की चर्चा न हो, ऐसा कैसे हो सकता है? स्विगी ट्रैवल (Swiggy Travel) ने हाल ही में खाने के शौकीनों के लिए एक अनोखी सेवा शुरू की है। मैंने अपनी जयपुर यात्रा के दौरान इसका इस्तेमाल किया और होटल में सिर्फ 300-400 रुपये में लोकल राजasthani थाली ऑर्डर की। स्वाद ऐसा था कि लगा जैसे किसी दादी ने अपने हाथों से बनाया हो। एक यूजर ने बताया कि लंबी ट्रेन यात्रा के दौरान स्टेशन पर खाना ऑर्डर करने से समय और स्वाद दोनों बच गए। हालांकि, छोटे शहरों में डिलीवरी का नेटवर्क अभी सीमित है, लेकिन ये स्टार्टअप भविष्य में और विस्तार की उम्मीद जगाता है।
अब बात उन लोगों की, जो बजट में यात्रा करना चाहते हैं। रेडबस (RedBus) ने मेरी कई यात्राओं को आसान बनाया है। पिछले साल मैंने चेन्नई से बैंगलोर का टिकट 600 रुपये में बुक किया, जो निजी बस में था और सुविधाएँ शानदार थीं। रास्ते में फिल्में देखीं और चाय की चुस्कियाँ लीं। एक यूजर ने कहा कि उनके लिए रेडबस का सबसे बड़ा फायदा ये है कि टिकट कैंसिलेशन आसान है, और रिफंड 2-3 दिन में आ जाता है। हालांकि, कभी-कभी बस समय पर नहीं पहुँचती, लेकिन ओवरऑल ये स्टार्टअप सस्ती और विश्वसनीय यात्रा का जरिया बन गया है।
इन स्टार्टअप्स की सफलता का राज उनकी यूजर-फ्रेंडली टेक्नोलॉजी और स्थानीय जरूरतों को समझना है। मेरे अपने अनुभव से कहूँ तो इन प्लेटफॉर्म्स ने न सिर्फ समय बचाया, बल्कि यात्रा को यादगार बना दिया। ये स्टार्टअप्स भारत की विविधता को अपनाते हुए हर राज्य की खासियत को हाइलाइट करते हैं, चाहे वो कश्मीर की बर्फीली वादियाँ हों या केरल की हरी-भरी घाटियाँ। साथ ही, ये रोजगार सृजन में भी योगदान दे रहे हैं, जहाँ लाखों ड्राइवर, गाइड और स्थानीय व्यापारी इनके साथ जुड़ रहे हैं।
अंत में, ये ट्रैवल स्टार्टअप्स सिर्फ बिजनेस नहीं, बल्कि एक आंदोलन हैं जो हमें नई जगहों की सैर करवाते हैं और यादें गढ़ते हैं। अगली बार जब आप घूमने का प्लान बनाएँ, तो इन नए साथियों को आजमाएँ और अपने अनुभव मुझे बताएँ। शायद आपकी कहानी भी किसी और को प्रेरित कर दे!