सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 16 जुलाई, 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार से 2024 में संशोधित किए गए अवैध धार्मिक परिवर्तन कानून के खिलाफ दायर याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा। इस याचिका को अन्य समान याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए जोड़ा गया है।
शीर्ष अदालत उस याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसे लखनऊ से आए शिक्षाविद् रूपरेखा वर्मा और अन्य ने दायर किया है। याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कनवर्जन ऑफ रिलिजन एक्ट, 2024 के कुछ प्रावधानों को ‘अस्पष्ट और अत्यधिक व्यापक’ बताते हुए कहा है कि इनकी अस्पष्टता स्वतंत्र भाषण और धार्मिक प्रचार के अधिकार का उल्लंघन करती है।
यह मामला वकीलों और सामाजिक संगठनों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट की यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह कानून के प्रावधानों की स्पष्टता और स्वतंत्रता की रक्षा के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है।
प्रकाशित – 16 जुलाई, 2025, 04:39 बजे IST
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