सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई, हर्ष कुमारस्वामी को मानहानि के मामले में शामिल किया गया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 17 जुलाई 2025 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी को मानहानि के मामले में शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 अप्रैल का वह हाईकोर्ट का आदेश अविलंब प्रभावी नहीं रहेगा। यह मामला उनके और उनके परिवार द्वारा बड़ी मात्रा में जमीन कब्जाने से संबंधित है। न्यायमूर्ति पंकज मिथाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले में समाज परिवर्तन समुह नामक एनजीओ को नोटिस जारी किया है, जिसे वकील प्रशांत भूषण ने प्रतिनिधित्व किया है। यह एनजीओ पहली बार हाईकोर्ट में इस आरोप को लेकर पहुंची थी। एनजीओ ने 2011 में लोकायुक्त की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि किथगनहल्ली गांव, बीदाड़ी में सरकारी जमीनों का अवैध कब्जा किया गया है। हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में इस मामले को बंद कर दिया था, तब केन्द्रीय वकील की आश्वासन पर कि कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, बाद में लोकायुक्त की कार्रवाई को जिरिस्डिक्शन की कमी के कारण बंद कर दिया गया। कुमारस्वामी ने हाईकोर्ट में कहा कि यह जमीन उन्होंने खरीदी है और उन्हें कांग्रेस सरकार का राजनीतिक निशाना बनाया जा रहा है। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने दावा किया कि आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं। मानहानि के इस मामले में उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य सरकार ने 2020 में दिए गए आश्वासन का पालन नहीं किया, जिसके आधार पर कुमारस्वामी को नोटिस जारी किया गया। इसके जवाब में, कुमारस्वामी ने वरिष्ठ वकील सी.ए. सुंदरेशम, वकील बालाजी श्रीनिवासन और रोहिणी मुसा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि उन्हें नोटिस उस मानहानि मामले के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें वह पक्षकार भी नहीं थे। वकीलों ने इस घटनाक्रम को ‘त्रुटियों का मनोरंजक खेल’ करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में इस याचिका के साथ जाने का स्वतंत्रता दी। हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल के आदेश में केंद्रीय मंत्री को मानहानि के मामले में शामिल कर लिया। इस निर्णय के साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादित मामले में हाईकोर्ट का फैसला स्थगित कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *