मंगलवार, 15 जुलाई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर स्थित कार्टूनिस्ट हेमंत मल्वीया को सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित ‘आलोचनात्मक’ कार्टून साझा करने के आरोप में गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान की। कोर्ट ने उनके खिलाफ मध्य प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए उन्हें राहत दी।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब सोशल मीडिया पर उनके पुराने कार्टून वायरल हुए, जिनमें कोविड-19 के दिनों के संदर्भ थे। कोर्ट ने इस मुद्दे पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल लोग बिना सोच-विचार के ऑनलाइन और टीवी पर अपनी बात रख रहे हैं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया का प्रयोग अभद्रता और अपमानजनक भाषा के लिए किया जा रहा है। न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया ने जजमेंट में कहा, ‘‘आज लोग बिना किसी सीमा को ध्यान में रखे, नकारात्मक बातें लिखते और कहते हैं।’’
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल अभद्र भाषा फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए और इस पर नियम बनाने की जरूरत है। वकील वंदना ग्रोवर ने भी कहा कि आलोचना करना या आलोचनात्मक मनोवृत्ति रखना अपराध नहीं है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि यदि पोस्ट अपमानजनक हैं तो उन्हें डिलीट किया जा सकता है।
वहीं, राज्य की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोग ‘हीरो’ बनने के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी चिंता जताई और कहा कि 15 अगस्त के बाद सोशल मीडिया पर अभद्रता को लेकर दिशानिर्देश बनाना जरूरी है।
उसी दिन, जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोशल मीडिया पर कॉमेडियन सैमय रैना समेत अन्य कलाकारों को भी निशाने पर लिया। उनके द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों का अनादर करने वाले मजाक पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। जस्टिस कांत ने कहा, ‘‘फ्री स्पीच का अधिकार दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा से ऊपर नहीं हो सकता।’’
सुप्रीम कोर्ट यह मामला SMA Cure Foundation की ओर से दायर याचिका पर सुन रहा था, जिसमें वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने प्रतिनिधित्व किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सोशल मीडिया पर किए गए कुछ मजाक और पोस्ट दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने अगले सुनवाई के लिए 26 अगस्त की तिथि तय की और सभी कलाकारों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
इसके साथ ही, जस्टिस बी.वी.नगरथना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोशल मीडिया पर अभद्रता और अपमानजनक पोस्टों को लेकर दिशा-निर्देश बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। न्यायमूर्ति नगरथना ने कहा, ‘‘हम सेंसरशिप के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सकारात्मक और सम्मानजनक माहौल बनाना जरूरी है।’’
इससे पहले, फरवरी में भी सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया को उनके शो ‘इंडिया’स गॉट लैटेंट’ में ‘गंदे भाषा’ उपयोग के लिए फटकार लगाई थी और उन्हें गिरफ्तारी से अस्थायी राहत दी थी।
यह सभी घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि भारत में डिजिटल स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारी का भी महत्व है। सुप्रीम कोर्ट इन मामलों में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, ताकि सामाजिक नैतिकता और व्यक्तिगत गरिमा दोनों का सम्मान हो सके।