सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 15 जुलाई, 2025 को नोएडा में समुदायिक कुत्तों को खिलाने को लेकर एक याचिका की सुनवाई के दौरान बड़ा ही व्यंग्यपूर्ण सवाल किया। कोर्ट ने पूछा, “आप अपने घर में क्यों नहीं उन्हें खिलाते?”। इस मामले में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “क्या हम इन विशाल हृदय वाले व्यक्तियों के लिए हर गली और सड़क खुली छोड़ सकते हैं? इन जानवरों के लिए तो जगह है, इंसानों के लिए नहीं। आप क्यों नहीं उन्हें अपने घर में खिलाते?”।
यह याचिका मार्च 2025 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से जुड़ी थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और वे Animal Birth Control Rules के अनुसार समुदायिक कुत्तों को नहीं खिला पा रहे हैं। Rule 20 of the Animal Birth Control Rules, 2023 के अनुसार, समुदायिक जानवरों को खिलाने का जिम्मा स्थानीय वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट मालिक संघ या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि का होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया, “आप अपने घर में ही एक आश्रय स्थल खोलें। अपने समुदाय के सभी कुत्तों को अपने घर में ही खिलाएँ।”। याचिकाकर्ता के वकील ने नियमों का पालन करने का दावा किया और कहा कि ग्रेटर नोएडा में नगरपालिका ऐसे स्थान बना रही है, लेकिन नोएडा में नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे स्थान उन जगहों पर बनाए जाएं जहां बहुत लोग न आते-जाते हों।
कोर्ट ने पूछा, “क्या आप सुबह साईकिल चलाने जाते हैं? ऐसा करके देखें और फिर सोचें कि क्या होता है।”। जब वकील ने कहा कि वह सुबह वॉक पर जाते हैं और कई कुत्ते देखते हैं, तो न्यायमूर्ति ने कहा, “सुबह के वॉक करने वाले भी खतरे में रहते हैं। साइकिल चलाने वाले और दोपहिया वाहन चालक अधिक जोखिम में रहते हैं।”।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को एक दूसरी लंबित याचिका के साथ जोड़ते हुए कहा कि दोनों मामलों में समाधान निकालना जरूरी है। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता ने निर्देश मांगे थे कि अधिकारी Animal Birth Control Rules का पालन सावधानी से करें, ताकि सड़क पर आवारा जानवरों और आम जनता दोनों का ध्यान रखा जा सके।
हाई कोर्ट ने कहा कि जानवरों की रक्षा जरूरी है, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आम जनता का रास्ते में चलना बाधित न हो। कोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि वे संवेदनशीलता दिखाएँ और आवारा कुत्तों से होने वाली घटनाओं को ध्यान में रखकर उचित कदम उठाएँ। हाल ही में सड़क पर आवारा कुत्तों के हमले से कई लोगों की जान गई है और आम जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है।
अंत में, हाई कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इन समस्याओं का समाधान करें और सुनिश्चित करें कि आवारा जानवरों की सुरक्षा के साथ-साथ आम जनता की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाए।