₹47,000 करोड़ की दवा कंपनी जिसकी शुरुआत सिर्फ 2 लोगों से हुई थी

सन फार्मा – एक ऐसा नाम जो आज भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में भरोसे और गुणवत्ता की पहचान बन चुका है। 1983 में सिर्फ 5 दवाओं और दो लोगों की छोटी सी टीम से शुरू हुई यह कंपनी आज भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी स्पेशल्टी जेनेरिक दवा निर्माता है। मुंबई में मुख्यालय और दुनिया के 100 से ज़्यादा देशों में उपस्थिति के साथ, सन फार्मा हर साल 30 बिलियन से अधिक दवाइयाँ लोगों तक पहुँचाता है। इसके 43 प्लांट्स भारत, अमेरिका, जापान और रूस सहित कई देशों में फैले हैं, जहाँ से यह न केवल जेनेरिक दवाएं, बल्कि उन्नत तकनीक वाली स्पेशल्टी दवाएं भी बनाता है।

भारत में इसका दबदबा ऐसा है कि घरेलू दवा बाजार में इसका हिस्सा लगभग 8% है और टॉप 300 ब्रांड्स में 35 ब्रांड्स केवल सन फार्मा के हैं। इसकी मजबूत सेल्स टीम देशभर में 6 लाख डॉक्टरों से जुड़ी है। कंपनी की ग्रोथ की सबसे बड़ी ताकत है इसकी स्पेशल्टी दवाएं – जैसे त्वचा रोगों, आंखों और हड्डियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं, जिन्हें अमेरिका जैसे बाजारों में भी उच्च दर्जा मिला है। अमेरिका में इसकी ब्रांड Winlevi को 88% डर्मेटोलॉजिस्ट्स द्वारा प्रिस्क्राइब किया जाता है।

सन फार्मा का वार्षिक राजस्व 5.4 अरब डॉलर (लगभग ₹47,000 करोड़) के पार है और कंपनी लगातार मुनाफा बढ़ा रही है। 2024-25 की चौथी तिमाही में इसका लाभ 24% बढ़कर ₹3,616 करोड़ रहा। रिसर्च और इनोवेशन पर भी यह भारी निवेश करता है – हर साल ₹800 करोड़ से ज़्यादा। इसका रिसर्च विंग SPARC (सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च कंपनी) पूरी तरह से इनोवेटिव दवाओं के विकास पर केंद्रित है।

इसकी सफलता का एक बड़ा कारण रहा है – रणनीतिक अधिग्रहण। 2014 में 4 अरब डॉलर में Ranbaxy का अधिग्रहण कर यह दुनिया की टॉप 5 फार्मा कंपनियों में आ गया। 2023 में Concert Pharmaceuticals और 2024 में Taro का पूरा अधिग्रहण इस दिशा में अहम कदम रहे हैं। हालांकि, रैनबैक्सी डील के बाद कुछ कानूनी चुनौतियाँ भी आईं, जिनका कंपनी ने $485 मिलियन के समझौते से हल निकाला।

सन फार्मा की असली पहचान दिलीप शांघवी से जुड़ी है, जिन्होंने इसे शुरू किया और आज तक इसे नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रहे हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है और वे फोर्ब्स के शीर्ष बिजनेस लीडर्स में गिने जाते हैं। अब कंपनी नए मैनेजिंग डायरेक्टर किर्ति गणोर्कर के नेतृत्व में नए अध्याय की ओर बढ़ रही है।

सन फार्मा की कहानी सिर्फ एक फार्मा कंपनी की नहीं, बल्कि भारतीय आत्मनिर्भरता, नवाचार और विश्वसनीयता की कहानी है। एक ऐसा ब्रांड जिसने बिना शोर-शराबे के, सिर्फ गुणवत्ता और वैज्ञानिक सोच से दुनिया का भरोसा जीता। यही वजह है कि आज जब आप किसी मेडिकल शेल्फ पर दवा देखते हैं, तो सबसे ऊपर चमकता है – सन फार्मा का नाम।

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