सिकर से सिएटल की यात्रा: एक युवा भारतीय की जीवन कहानी
2017 में, दिल्ली, राजस्थान या किसी और भारतीय शहर से निकलकर, दिव्या सैनी ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उन दिनों, वह अपने सपनों को पूरा करने और एक बेहतर जिंदगी की आशा लेकर दिल्ली जैसी बड़ी शहर में कदम रख रही थी। चार वर्षों के भीतर ही, उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। अब, वह अमेरिका के सिएटल शहर में रहती है और एक नामी तकनीकी कंपनी में काम कर रही है।
ऑनलाइन पढ़ाई और कैरियर की शुरुआत
दिव्या का मानना है कि भारत में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद ही उन्हें दुनिया के नए अवसरों का पता चला। वह Amazon India में कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए नौकरी मिली और अपनी मेहनत से तेजी से तरक्की की। 2021 में, वह कंपनी के यूएस ऑफिस में ट्रांसफर हुई। उस समय, उन्हें नई जगह और नई जिंदगी का सामना करना पड़ा।
अंतरराष्ट्रीय जीवन का सामना
सिएटल में रहते हुए, दिव्या ने पाया कि जीवन यहीं के खर्चे भारत से बहुत अलग हैं। यहाँ की लागत बहुत अधिक है, जैसे कि किराया, खाने-पीने का सामान और दैनिक खर्चे। हालांकि, वह कहती हैं कि यह अनुभव उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है और नई चीजें सीखने का मौका भी देता है।
जीवन की चुनौतियां और खर्च
किराया और आवास का खर्च
सिएटल में एक एकल कमरे का फ्लैट लगभग 530 वर्ग फीट का है, जिसमें दिव्या रहती है। यहाँ का किराया भारत की तुलना में बहुत महंगा है। वह बताती हैं कि करीब 30% उनकी कमाई बस किराए, खाने-पीने, और utilities पर खर्च हो जाती है। भारत में रही उनके साथी और परिवार की सहायता की बात अब केवल यादें बनकर रह गई हैं। अब, नए माहौल में अपने खर्चों का ध्यान रखना ही मुख्य चुनौती है।
खाने-पीने का खर्च और जीवनशैली
दिव्या ने बताया कि वह घर में ज्यादातर नाश्ता और रात का खाना खुद बनाती हैं, लेकिन लंच के लिए उन्हें ओर्डर करना पड़ता है। यहां का औसत एक भोजन का खर्च लगभग 15 से 20 डॉलर है, जो महीनेभर में काफी खर्चीला हो सकता है। परंतु, वह इसे अपने अनुभव का हिस्सा मानती हैं और खुद को अनुशासित करने की कोशिश करती हैं।
आर्थिक समझ और खरीदारी
अमेरिका में रहते हुए, दिव्या ने Purchase Price Parity (PPP) जैसी आर्थिक अवधारणाओं को अच्छी तरह समझा। वह कहती हैं कि यहां छोटी-मोटी जरूरते पूरी करने के लिए भी खर्च भारी हो जाते हैं। किसी भी जरूरी वस्तु या सेवा का खर्च भारत से कई गुना अधिक हो सकता है। इस अनुभव से, वह अपने खर्चों को नियंत्रित करने में सक्षम हो गई हैं।
यात्रा और जीवन का आनंद
यद्यपि खर्च अधिक है, फिर भी दिव्या अपनी यात्राओं को प्राथमिकता देती हैं। वह हवाई, न्यूयॉर्क, मियामी, पोर्टलैंड और सैन फ्रांसिस्को जैसे शहरों का दौरा कर चुकी हैं। उनका मानना है कि इन यात्राओं से उन्हें नई संस्कृतियों और जीवनशैली को समझने का मौका मिलता है। खासतौर से, न्यूयॉर्क जैसे शहर की विविधता और जीवंतता उन्हें बहुत भाती है।
जीवन में संतुलन और कठिनाइयां
अमेरिका में अकेली रहने का निर्णय आसान नहीं है। यहां का जीवन भारत से बिलकुल अलग है। रहन-सहन, खर्च और काम-काज का तरीका भी अलग है। दिव्या का अनुभव है कि कभी-कभी अकेले रहना आसान होता है, लेकिन खर्च भी बहुत बढ़ जाता है। वह कहती हैं कि इस तरह का जीवन उन्हें मजबूत बनाता है, साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी बढ़ती है।
अंत में: एक बड़ा कदम, और नए अवसर
दिव्या की कहानी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय युवा यदि सही दिशा में मेहनत करें और नई दुनिया को समझें, तो वे दुनिया के किसी भी कोने में अपने लिए जगह बना सकते हैं। यह जीवन की चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन यह अनुभव और अवसर भी अनमोल हैं। भारत और अमेरिका के बीच एक सेतु बनती इस कहानी से प्रेरणा मिलती है कि कैसे आज का युवा अपने सपनों का पीछा कर सकता है।
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