केंद्र सरकार ने बुधवार, 16 जुलाई, 2025 को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए “प्रधानमंत्री धन-धान्या कृषि योजना” (PMDDKY) को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि करना, टिकाऊ खेती के अभ्यास को बढ़ावा देना और देशभर में किसानों की आय में सुधार करना है।
इस योजना की घोषणा बजट में पहले ही की जा चुकी है। कैबिनेट मीटिंग के बाद पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार ने 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को मिलाकर इस नई योजना का गठन किया है। यह योजना प्रति वर्ष 24,000 करोड़ रुपये का बजट छह वर्षों तक (2025-26 से शुरू होकर) प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, “यह योजना 1.7 करोड़ किसानों को लाभान्वित करेगी।”
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस योजना का उद्देश्य फसल के बाद स्टोरेज सुविधाओं को पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बढ़ाना, सिंचाई प्रणालियों में सुधार करना, और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। योजना के तहत 36 योजनाओं का समागम किया जाएगा, जो 11 विभागों, राज्य सरकारों की योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी से मिलकर काम करेगी।
यह योजना उन 100 जिलों में लागू की जाएगी, जहां उत्पादन कम, फसल की आवृत्ति कम और ऋण वितरण में कमी पाई जाती है। प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से कम से कम एक जिला जरूर चुना जाएगा, जो खेती की जमीन के हिस्से और आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री धन-धान्या कृषि योजना को केंद्र के “आशियरेशनल जिला कार्यक्रम” पर आधारित मॉडल माना जा रहा है। मंत्री वैष्णव ने कहा कि यह पहली प्रकार की योजना है, जो विशेष रूप से कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर केंद्रित है।
योजना की सफल कार्यान्वयन, निगरानी और योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा। प्रत्येक जिले में “जिला कृषि एवं संबंधित गतिविधियों की योजना” तैयार की जाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे। इस योजना का लक्ष्य फसल विविधीकरण, जल एवं मृदा संरक्षण, आत्मनिर्भरता, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देना है। योजना की प्रगति हर माह की समीक्षा के साथ निगरानी की जाएगी।
सरकार का मानना है कि इस योजना से कृषि उत्पादकता में सुधार, मूल्य वर्धन, स्थानीय आजीविका के अवसर बढ़ेंगे और घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी। इससे देश आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएगा।
ग्रीन इकोनॉमी और इम्पैक्ट इनोवेशन के विशेषज्ञ अभिषेक जैन का कहना है कि यह योजना भारत के कम प्रदर्शन करने वाले जिलों में कृषि प्रदर्शन को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। वे कहते हैं, “सिर्फ उत्पादन पर ही नहीं, बल्कि फसल विविधीकरण, मिट्टी एवं जल संरक्षण, मिट्टी की सेहत और जल उपयोग की दक्षता पर भी ध्यान देना चाहिए।” उन्होंने सुझाव दिया कि जिले का चयन पारंपरिक मानदंडों के अलावा, प्रति हेक्टेयर कृषि आय जैसे नए मानकों का भी उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि योजना अधिक प्रभावी और टिकाऊ बन सके।
यह योजना किसानों की आय बढ़ाने, कृषि में मूल्य वर्धन, और स्वावलंबन की दिशा में एक नई पहल है, जो देश के कृषि क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाने का प्रयास करेगी।
(प्रकाशित: 16 जुलाई, 2025, 21:16 IST)