भारतीय प्रेस क्लब (PCI) और भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स ने बिहार में विशेष सूक्ष्म संशोधन के दौरान पत्रकार अजित अंजुम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर चिंता व्यक्त की है। इन प्रेस संगठनों का कहना है कि यह मामला उनके यूट्यूब चैनल पर बीरगंज जिले में हो रही संशोधन प्रक्रिया दिखाने से जुड़ा है।
प्रेस संगठनों ने कहा, “रिपोर्टिंग तथ्य प्रस्तुत करने का मुख्य और प्राथमिक कर्तव्य है, और यह निश्चित रूप से किसी भी तरह की गलत जानकारी फैलाने के अंतर्गत नहीं आता।” उन्होंने आगे कहा, “आशय यह है कि प्रशासन ने स्पष्टीकरण देने के बजाय कानूनी रास्ता अपनाया, जिसकी परिणति एक एफआईआर दर्ज़ करने में हुई है। इससे प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के ऊपर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।”
प्रेस संगठनों ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे अजित अंजुम के पत्रकार एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।
इसके अलावा, PCI ने 4 जुलाई को पुणे के मान्चर में “गैरकानूनी नदी-तट निर्माण” का दस्तावेज़ीकरण कर रही स्नेहा बर्वे, संस्थापक संपादक, पर हो रहे शारीरिक हमले की निंदा की है। इस दौरान उनके साथ आए कई लोगों को भी पीटा गया। आरोपियों में से एक हिस्ट्रीशीटर है, जो इलाके में दो शराब के बार चलाता है, हत्या के मामले में नामज़द है और अक्सर अवैध कब्ज़ा करने का आरोप झेलता है।
PCI ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि हमलावरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।