शांतनु मित्रा, भारत के माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में एक ऐसा नाम हैं जो क्षेत्र के भीतर भले ही जाना जाता हो, लेकिन पब्लिक डोमेन में बहुत […]
भारत का सबसे बड़ा दानी, जिसने सब कुछ दिया… पर खुद प्रचार से दूर रहा!
अज़ीम हाशिम प्रेमजी भारत के उन गिने-चुने उद्योगपतियों में से हैं जिनकी पहचान केवल कारोबारी सफलता से नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानवीय मूल्यों से […]
जोमाटो की भूख: फूड डिलीवरी के रास्ते की मुश्किलें
2008 में, दीपिंदर गोयल ने फूडज़ैप शुरू किया, जो बाद में जोमाटो बना। लेकिन एक छोटे से मेनू स्कैनिंग टूल से भारत की सबसे बड़ी […]
बायजूस का सपना: शिक्षा क्रांति से संकट की ओर
बायजू रविंद्रन ने 2011 में बायजूस शुरू किया, एक ऐसा ऐप जो शिक्षा को मजेदार बनाता है। लेकिन एक टीचर से $20 बिलियन की कंपनी […]
लेंसकार्ट की आँखों की रोशनी: चुनौतियों से उभरती एक कंपनी
2010 में पेपाल माफिया के एक मेंबर, पीयूष बंसल ने लेंसकार्ट की शुरुआत की, लेकिन ऑनलाइन चश्मा बेचने का विचार उस समय हास्यास्पद लगता था। […]
ओयो का उतार-चढ़ाव: एक कमरे से ग्लोबल होटल चेन तक
रितेश अग्रवाल, एक 19 साल के लड़के ने 2013 में ओयो रूम्स की शुरुआत की, लेकिन उनकी कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। रितेश ने […]
पेटीएम की जंग: एक छोटे शहर से डिजिटल क्रांति तक
विजय शेखर शर्मा, एक छोटे से शहर अलीगढ़ के युवक, ने 2010 में पेटीएम की नींव रखी, लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। शुरुआत में, […]