शांता सान्याल का नाम आज के दौर में जनसंचार, शिक्षा और महिला नेतृत्व की बात करते समय कम ही लिया जाता है, लेकिन उनका काम उस समय शुरू हुआ जब ये शब्द महज परिभाषाओं तक सीमित थे। पश्चिम बंगाल में जन्मीं शांता सान्याल ने शिक्षा और पत्रकारिता को पेशा नहीं,…
इनोवेशन का पेटेंट नहीं कराया, फिर भी गांव-गांव में नाम हो गया – ये हैं भीम राव वर्मा
भीम राव वर्मा का नाम मुख्यधारा के अख़बारों और न्यूज़ चैनलों में अक्सर नहीं आता, लेकिन ग्रामीण भारत के नवाचार की जब भी बात होती है, तो उनके योगदान को अनदेखा करना कठिन है। बिहार के मधेपुरा जिले से आने वाले भीम राव वर्मा एक किसान परिवार में जन्मे, लेकिन…
क्रिएटिविटी बेचता था… फिर कैमरा उठाया और बना दी ‘पा’, ‘चीनी कम’ और ‘पैडमैन’ जैसी फिल्में
आर. बालकृष्णन जिन्हें इंडस्ट्री में आमतौर पर आर. बाल्की के नाम से जाना जाता है, भारतीय विज्ञापन और सिनेमा की दुनिया में एक दुर्लभ संयोग हैं — ऐसे व्यक्ति जिन्होंने दोनों क्षेत्रों में न केवल प्रवेश किया, बल्कि एक स्पष्ट छाप भी छोड़ी। बाल्की की शुरुआत विज्ञापन से हुई, और…
अमूल की सफलता के पीछे एक गुमनाम रणनीतिकार, जिसे आज कोई नहीं जानता
टी.एन. मणि का नाम अमूल जैसे सहकारी मॉडल से जुड़ा है, लेकिन आम जनता के लिए यह नाम अपरिचित ही रहा है। जब भी अमूल की बात होती है, तो लोग कुरियन को याद करते हैं — और सही भी है, क्योंकि वर्गीज़ कुरियन अमूल के चेहरा और चैंपियन थे।…
₹18,000 करोड़ की लोन बुक और 40 लाख ग्राहक, फिर भी नाम तक नहीं जानते आप इस CEO का!
शांतनु मित्रा, भारत के माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में एक ऐसा नाम हैं जो क्षेत्र के भीतर भले ही जाना जाता हो, लेकिन पब्लिक डोमेन में बहुत कम दिखते हैं। फिर भी उन्होंने जिस संस्था को खड़ा किया और बढ़ाया, उसकी आज की स्थिति देश के सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस संगठनों में होती…
भारत का सबसे बड़ा दानी, जिसने सब कुछ दिया… पर खुद प्रचार से दूर रहा!
अज़ीम हाशिम प्रेमजी भारत के उन गिने-चुने उद्योगपतियों में से हैं जिनकी पहचान केवल कारोबारी सफलता से नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानवीय मूल्यों से होती है। वे विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd.) के संस्थापक नहीं, बल्कि पुनर्निर्माता हैं — जिन्होंने एक तेल बेचने वाली कंपनी को वैश्विक आईटी कंपनी में…
जोमाटो की भूख: फूड डिलीवरी के रास्ते की मुश्किलें
2008 में, दीपिंदर गोयल ने फूडज़ैप शुरू किया, जो बाद में जोमाटो बना। लेकिन एक छोटे से मेनू स्कैनिंग टूल से भारत की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी बनने की कहानी आसान नहीं थी। शुरुआत में, रेस्तरां मालिक अपने मेन्यू को ऑनलाइन डालने के लिए तैयार नहीं थे।। पहली चुनौती…
बायजूस का सपना: शिक्षा क्रांति से संकट की ओर
बायजू रविंद्रन ने 2011 में बायजूस शुरू किया, एक ऐसा ऐप जो शिक्षा को मजेदार बनाता है। लेकिन एक टीचर से $20 बिलियन की कंपनी बनाने की कहानी आसान नहीं थी। शुरुआत में, बायजू खुद क्लासरूम में पढ़ाते थे, और उनके पास ऑनलाइन कोर्स बनाने के लिए संसाधन नहीं थे।।…
लेंसकार्ट की आँखों की रोशनी: चुनौतियों से उभरती एक कंपनी
2010 में पेपाल माफिया के एक मेंबर, पीयूष बंसल ने लेंसकार्ट की शुरुआत की, लेकिन ऑनलाइन चश्मा बेचने का विचार उस समय हास्यास्पद लगता था। लोग चश्मे को ऑनलाइन खरीदने से हिचकते थे क्योंकि वे इसे पहले आजमाना चाहते थे। पहली चुनौती थी ग्राहकों का भरोसा जीतना। लेंसकार्ट ने होम…
ओयो का उतार-चढ़ाव: एक कमरे से ग्लोबल होटल चेन तक
रितेश अग्रवाल, एक 19 साल के लड़के ने 2013 में ओयो रूम्स की शुरुआत की, लेकिन उनकी कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। रितेश ने कॉलेज छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू किया, जब उनके पास रहने के लिए किराए का पैसा भी नहीं था। शुरुआत में, ओयो एक छोटा सा प्लेटफॉर्म…