नेपाल की राजनीति में नई धमक, नेताओं के बीच तीव्र संघर्ष और सरकार की दिशा
नेपाल में हाल के दिनों में राजनीतिक गतिविधियों ने सभी का ध्यान खींचा है। पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने स्पष्ट किया है कि उनके सदस्यता से हटने का कोई आधार नहीं है, जबकि प्रदेश सरकार में चार मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इन घटनाओं ने यह दिखाया है कि राजनीतिक माहौल में तेज बदलाव हो रहे हैं। इन युवा नेताओं और वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रही खींचतान देश की राजनीति को नई दिशा दे रही है।
पूर्व राष्ट्रपति का स्पष्ट बयान: सदस्यता से हटने का कोई कारण नहीं
विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मेरा पार्टी में 45 वर्षों का इतिहास है। यह बात स्पष्ट है कि मुझे कभी भी पार्टी से बाहर करने का कोई औचित्य नहीं है।” उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के प्रति उनका सदाकत और प्रतिबद्धता अडिग है। वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि हाल के निर्णय, जो कानून और पार्टी के मूल्यों को सुरक्षित नहीं मानते, उन्हें बहुत दुख पहुंचाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान विपक्षी दलों और पार्टी के अंदर चल रही असंतोष की स्थिति को दर्शाता है। नेपाल की राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनाएं अक्सर सरकार और पार्टी के बीच मतभेद को दर्शाती हैं।
प्रदेश सरकार में मंत्री इस्तीफा: राजनीति में बदलाव की शुरुआत?
बागमती प्रदेश की सरकार के चार मंत्री—मिन कृष्ण महर्जन, सुरज चंद्र लामिछाने, बीमल ठाकुरी और मधु कुमार श्रेष्ठ—ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इन मंत्रियों ने हाल ही में नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक समीकरणों में नए बदलाव की अफवाहें तेज हो गई हैं। उनके इस्तीफे को प्रदेश में चल रहे सत्ता और विपक्ष के बीच जंग का संकेत माना जा रहा है।
- मंत्री के इस्तीफे: यह दर्शाता है कि प्रदेश में नई राजनीतिक चालें चल सकती हैं।
- मुलाकात का महत्व: कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं के बीच बढ़ती बातचीत से सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रधानमंत्री का विकास का दावा और नई योजनाएं
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मटिहानी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने देश में विकास का नया युग शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सरकार, जो कि CPN (UML) और नेपाली कांग्रेस के गठबंधन पर आधारित है, सभी क्षेत्रों में तेजी से काम कर रही है।विशेष ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ओली ने मटिहानी में बुढ़ी नदी पर पुल और महोत्तरी जिले में एक नए प्रसूति गृह का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि इन परियोजनाओं से क्षेत्र के जनता को राहत मिलेगी और विकास की गति और तेज होगी।
मौसम की मार: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत उपायों पर जोर
मधेश प्रदेश में सूखे की मार के कारण खेती-बाड़ी पर गंभीर असर पड़ा है। प्रधानमंत्री ओली ने हाल ही में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और अधिकारियों से स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल संकट से निपटने के लिए 500 गहरे बोरिंग तुरंत लगाए जाएंगे।
यह कदम मुख्य तौर पर सिंचाई और पीने के पानी की समस्या को हल करने के लिए है। सरकार ने 22 जुलाई को मधेश प्रदेश को आपदा क्षेत्र घोषित किया था, ताकि आपातकालीन सहायता पहुंचाई जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम किसानों को राहत पहुंचाने में मदद करेगा।
संवैधानिक संशोधन: देउबा का बयान और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
शेर बहादुर देउबा ने कहा कि संविधान में आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान लोकतांत्रिक मूल्यभावों पर आधारित है और समय के साथ बदलने की जरूरत है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं के कारण संशोधन की मांग उठ रही है।
वहीं, नेपाली कांग्रेस ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। पार्टी ने कहा कि UML के सांसदों द्वारा प्रस्तावित संशोधन अस्वीकार्य और अनैतिक हैं। यह संशोधन विधेयक से ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि को हटाने का प्रस्ताव है, जो रिटायर होने के बाद सरकारी कर्मचारी को तुरंत राजनीति में शामिल होने से रोकता है। पार्टी का मानना है कि ऐसी प्रस्तावना संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
अंदरूनी संकट और अविश्वास प्रस्ताव: कांग्रेस में खींचतान
बागमती प्रदेश विधानसभा में नेपाली कांग्रेस के बहुत से विधायक मुख्यमंत्री बहादुर सिंह लामा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। पार्टी के अंदर चल रही असंतोष और टकराव का संकेत है। 21 विधायक ने अपने ही नेता के खिलाफ प्रस्ताव दाखिल किया है। इससे प्रदेश में सत्ता की स्थिरता पर सवाल उठने लगे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल की भागीदारी: संसदीय सम्मेलन की तैयारियां
स्पीकर देवराज घिमिरे ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से मिलकर नेपाल के आगामी विश्व संसदीय सम्मेलन में भागीदारी की तैयारी की जानकारी दी। यह सम्मेलन 29 से 31 जुलाई तक जेनेवा में आयोजित किया जाएगा। इससे नेपाल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी मजबूत होगी और संसदीय व्यवस्था की सर्वोच्चता का प्रदर्शन होगा।
यह सारी घटनाएं मिलकर यह संकेत देती हैं कि नेपाल की राजनीति में बदलाव तेज हो रहा है। सरकार और विपक्ष के बीच चल रही खींचतान और नेताओं की बयानबाजी देश की दिशा तय कर रही है। इन घटनाओं का असर देश के विकास, सुरक्षा और लोकतंत्र पर पड़ेगा।
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