नेपाल की आर्थिक स्थिति: नई उम्मीदें और पुरानी चुनौतियां
नेपाल में हाल ही में आर्थिक गतिविधियों ने कुछ नए आयाम हासिल किए हैं। देश में निवेश की दिशा में सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, जैसे कि रिकॉर्ड-ब्रेकिंग स्टॉक मार्केट रैली, नई जलविद्युत परियोजनाओं की शुरुआत, और चीन से बड़ी मात्रा में कृषि FDI का आगमन। इसके बावजूद, देश के सामने अभी भी कई संरचनात्मक कमजोरियां हैं, जो निवेश आकर्षित करने और विकास की रफ्तार तेज करने में बाधक हैं।
आर्थिक संकेतक: निवेश में बढ़ोतरी के बावजूद चुनौतियां स्पष्ट
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि, लेकिन असली प्रवाह कम
वित्तीय वर्ष 2080/81 में नेपाल में FDI की प्रतिबद्धता में 5% की बढ़ोतरी हुई है। यह राशि लगभग Rs 65 अरब के करीब पहुंच गई है, और 840 प्रस्तावित परियोजनाएँ स्वीकृत हुई हैं। चीन और भारत जैसे प्रमुख निवेशक इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। खासतौर पर सेवाएँ और टूरिज्म क्षेत्र को निवेश में विशेष Augenmerk मिला है।
हालांकि, वास्तविक FDI प्रवाह 2024 में सिर्फ $57 मिलियन रहा, जो 2019 की तुलना में लगभग 69% कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से प्रशासनिक अड़चनों, कर की अनिश्चितता और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पष्ट कर नीति और अनुकूल निवेश माहौल के बिना बड़ी परियोजनाएँ आकर्षित करना मुश्किल रहेगा।
बुनियादी ढांचे का विकास: सड़कें और पुलों पर प्रगति
पुखरा–जमुनि मार्ग का प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसमें 55.10% भौतिक और 42.50% वित्तीय कार्य पूरा हो चुका है। इसमें 38.88 किमी का रास्ता है, जिसमें से 37.70 किमी का कार्य पूरी तरह से पूरित है। कई पुल जैसे बिजयपुर और सेती पुल अभी भी निर्माणाधीन हैं। इस परियोजना का लक्ष्य इस जनवरी तक पूरा कराना है। यह भारत-चीन दोनों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जो नेपाल के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा।
कृषि और ऊर्जा: नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत और ऊर्जा सुरक्षा
चीन की बड़ी कृषि निवेश परियोजना
सिंधुली में 20 अरब रुपये की लागत से नेपाल का सबसे बड़ा बफेलो मांस प्रसंस्करण और निर्यात केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव पास हुआ है। यह परियोजना चीनी कंपनी Chengdu Jian Co. Ltd. द्वारा विकसित की जा रही है। इसमें आधुनिक स्लॉटरहाउस और बफेलो पालन केंद्र बनाए जाएंगे, जो मुख्य रूप से चीन को निर्यात के लिए होंगे। यह परियोजना नेपाल-चीन सीमा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देगी।
ऊर्जा का परिचय: नई जलविद्युत परियोजनाएँ
सोलुखुम्बू जिले में 82 मेगावाट का Lower Solu Hydropower Project अब पूरी तरह से परिचालन में आ चुका है। यह परियोजना यूरोपीय वित्त संस्थानों से विशेष वित्त पोषण पाकर, अपने समय से दो महीने पहले ही पूरा हो गई है। इससे न केवल नेपाल की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। भारत-चीन के सम्मिलित प्रयासों से नेपाल की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो रही है।
खराब मानसून का प्रभाव: बाढ़ और फसल नुकसान
मधेश प्रदेश में इस वर्ष मानसून की अनियमित बारिश के कारण धान की खेती पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। अभी तक केवल 46.83% क्षेत्र में धान बोया गया है, जबकि बाकी जमीन सूख चुकी है। सिंचाई की सुविधा कम होने से फसलें प्रभावित हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बारिश इस महीने के अंत तक नहीं बढ़ी, तो धान उत्पादन में लगभग 25% की गिरावट आ सकती है, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। पिछले साल से यहाँ की उत्पादन क्षमता करीब Rs 60 अरब थी।
बैंकिंग सेक्टर: नई नीतियों और ब्याज दरों में बदलाव
नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) अपनी मौजूदा बेस रेट प्रणाली में बदलाव लाने की योजना बना रहा है। शुरुआत में 2012 में लागू हुई इस प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए नए मॉडल पर विचार किया जा रहा है। इसमें वैश्विक ब्याज दरें, जोखिम प्रीमियम, और फंडिंग लागत जैसे तत्व शामिल किए जाएंगे। इससे न केवल ऋण की उपलब्धता आसान होगी, बल्कि ब्याज दरें भी प्रतिस्पर्धी बनेंगी। वर्तमान में, बैंकों की ब्याज दरें 4.89% से 7% के बीच हैं, जिनमें NIC Asia Bank उच्चतम है।
आखिरी शब्द: चुनौतियों के बीच संभावनाओं का विकास
नेपाल की अर्थव्यवस्था अभी भी कई अड़चनों का सामना कर रही है, जिनमें जरूरी सुधार, बुनियादी ढांचा, और नीति में स्थिरता शामिल हैं। फिर भी, हाल की प्रगति और विदेशी निवेश की बढ़ती उम्मीदें यह दर्शाती हैं कि सही दिशा में कदम उठाने से ही देश के विकास की गति तेज हो सकती है। सरकार और विशेषज्ञ मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ताकि नेपाल को समृद्ध और स्थिर आर्थिक स्थिति मिल सके।
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