नेपाली अर्थव्यवस्था का वर्तमान स्थिति: बाजार, मुद्रास्फीति और विकास के संकेत
नेपाल की अर्थव्यवस्था वर्तमान में कई जटिलताओं और अवसरों का सामना कर रही है। इस समय बाजार में उतार-चढ़ाव, सोने-चांदी की कीमतों में वृद्धि, साथ ही वित्तीय संस्थानों एवं सरकारी नीतियों में बदलाव की खबरें प्रमुख हैं। इन घटनाओं का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना, निवेश को प्रोत्साहित करना और विकास के नए रास्ते तलाशना है। इस रिपोर्ट में हम इन महत्वपूर्ण आर्थिक घटनाओं का विश्लेषण करेंगे, ताकि आम जनता और निवेशक दोनों को बेहतर समझ मिल सके।
बाजार का हाल: NEPSE में उतार-चढ़ाव और निवेशकों की प्रतिक्रिया
नेपाल स्टॉक एक्सचेंज (NEPSE) ने सप्ताह के पहले दिन ही जोरदार उतार-चढ़ाव देखा। दिन की शुरुआत में यह 2,922 अंकों पर पहुंच गया, जो पिछली दिन की तुलना में 52 अंक अधिक था। लेकिन फिर बिकवाली का दबाव बढ़ने से यह गिरावट में चला गया और दिन का अंत 2,870 पर हुआ, जो पहले के मुकाबले स्थिर रहा। यदि अंतिम 15 मिनट में वज़नदार औसत कीमत नहीं सुधारी जाती, तो यह मामूली गिरावट के साथ बंद होता। यह स्थिति दर्शाती है कि निवेशक अभी भी बाजार में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
सप्ताह की शुरुआत में बाजार में इतनी अस्थिरता का कारण विभिन्न वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतकों को माना जा रहा है। इसके अलावा, निवेशकों का मनोबल स्थिर करने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक की नीतियों का भी प्रभाव है, जैसे कि तरलता में कमी और नई वित्तीय नियमावली।
सोने और चांदी की कीमतें: निवेश के नए विकल्प?
मुद्रा बाजार में सोने और चांदी की कीमतें बढ़ने का सिलसिला जारी है। रविवार को, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसार, सोने की कीमत में रु 800 प्रति तोला का इजाफा हुआ है, और यह अब रु 193,300 पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी की कीमत में रु 5 प्रति तोला का इजाफा हुआ है। ये बढ़ोतरी निवेशकों के बीच महंगे की चिंता और सुरक्षित निवेश के विकल्प को उजागर करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और महंगाई के कारण सोने और चांदी जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों की मांग बढ़ सकती है।
वित्तीय गति: आरबीएनए की तरलता नियंत्रण और सरकारी प्रयास
नेपाल राष्ट्र बैंक ने मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकिंग सिस्टम से अतिरिक्त Rs 50 अरब की तरलता हटा दी है। यह कदम “Bolkabol” जमा उपकरण के माध्यम से लिया गया है, जिसकी अवधि 42 दिन है। अब तक कुल Rs 675 अरब की तरलता हटी है, जिसका मकसद वित्तीय संस्थानों में नकदी की स्थिति को नियंत्रित करना है।
इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता और महंगाई पर नियंत्रण की उम्मीद है, लेकिन इससे ऋण प्रवाह और निवेश पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार की वित्तीय नीति: राजस्व और सुधार की दिशा
सरकार ने अपने खर्च और आय के बीच के असंतुलन को देखते हुए, वितरणीय निधि में Rs 20.5 अरब का घाटा दर्ज किया है। हालांकि, वर्ष 2024/25 में आय में Rs 2 अरब की वृद्धि हुई है, लेकिन अभी भी पुरानी देनदारियों का प्रभाव बना हुआ है।
इसके अतिरिक्त, नई वित्तीय नीतियों का क्रियान्वयन हो रहा है। जैसे कि, “Guidelines on Dividend Distribution for Payment Institutions (Other than Banks and Financial Institutions), 2025” से भुगतान संस्थानों में लाभ वितरण में पारदर्शिता लाने का प्रयास है। इन कदमों का मकसद वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाना है।
बीमा क्षेत्र में नई पहल: जोखिम आधारित प्रीमियम प्रणाली
नेपाल इंश्योरेंस अथॉरिटी एक नई नीति पर काम कर रही है, जिसमें गैर-जीवन बीमाओं के प्रीमियम का निर्धारण जोखिम के आधार पर किया जाएगा। नई प्रणाली में क्षेत्र, जोखिम प्रकार और स्थान जैसे कारकों को ध्यान में रखकर प्रीमियम तय किया जाएगा, ताकि बीमा क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी और जोखिम के अनुरूप बन सके।
यह बदलाव बीमा उद्योग को मजबूत बनाने के साथ-साथ, उपभोक्ताओं को भी बेहतर विकल्प उपलब्ध कराएगा।
विपत्तियों और विकास के बीच संतुलन
जहां एक ओर पर्यटन क्षेत्र तेजी से पुन: स्थापित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याएं भी सामने आ रही हैं। मणासुलु क्षेत्र में पर्यटक संख्या बढ़ी है, और भारत के साथ रणनीतिक संचार भी हो रहा है।
वहीं, हाइड्रोपावर परियोजनाओं के खिलाफ विरोध और चीनी मिलों के सब्सिडी में कटौती से सामाजिक संघर्ष भी देखने को मिल रहे हैं। यह सभी घटनाएं विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच आवश्यक संतुलन का संकेत हैं।
आगे का रास्ता: चुनौतियों और अवसरों का मिश्रण
नेपाल की वर्तमान आर्थिक स्थिति एक जटिल परिदृश्य प्रस्तुत करती है जिसमें सुधार और चुनौतियों का समावेश है। बाजार में रिकवरी की उम्मीदें अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन उन्हें वैश्विक और घरेलू दोनों तरह की अस्थिरताओं का सामना भी करना पड़ रहा है।
सारांश में कहें तो, सरकार, केंद्रीय बैंक और निजी क्षेत्र सभी मिलकर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि नेपाल की अर्थव्यवस्था मजबूत बने, लेकिन इसमें सतर्कता और निरंतर प्रयास जरूरी हैं।
यह वक्त है जब सही नीति और जागरूकता से ही वित्तीय स्थिरता और विकास संभव है।