नेपाल की आर्थिक स्थिति पर ताज़ा दृष्टि: विकास, चुनौतियाँ और अवसर
नेपाल की अर्थव्यवस्था में हाल के महीनों में सकारात्मक संकेत के साथ-साथ कुछ गंभीर चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। बीते वित्तीय वर्ष में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है, जहां निवेशक नई परियोजनाओं के साथ देश का विकास देखने को उत्सुक हैं। वहीं, सड़क, जलविद्युत एवं कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हो रहे कामकाज, देश की बुनियादी ढाँचे में तेजी लाने की दिशा में कदम हैं।
FDI में मामूली बढ़ोतरी और इसके पीछे के कारण
निवेश का बढ़ना और असली प्रवाह में गिरावट
वित्त वर्ष २०७८/७९ में नेपाल में एफडीआई में लगभग 5% की वृद्धि देखी गई, जो कि ६४.९६ अरब रुपए तक पहुँच गई। इसमें मुख्य रूप से भारत और चीन से निवेश का आकर्षण रहा है। सेवा क्षेत्र और पर्यटन उद्योग ने सबसे अधिक निवेश आकर्षित किया।
लेकिन, आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि वास्तविक एफडीआई प्रवाह में भारी कमी आई है। 2024 में सिर्फ 57 मिलियन डॉलर का निवेश नेपाल आया है, जो 2019 के मुकाबले 69% कम है।
यह गिरावट मुख्य रूप से नौकरशाही प्रक्रिया, कर प्रणाली में अनिश्चितता और बुनियादी ढांचे की कमियों से जुड़ी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि बेहतर अवसंरचना, कर व्यवस्था में स्पष्टता और निवेश के अनुकूल माहौल ही लंबी अवधि में विकास को गति दे सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
अंतरराष्ट्रीय निवेश विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल को अपने संस्थागत प्रक्रियाओं में सुधार करना जरूरी है।
वे कहते हैं, "बिना चुस्त सरकारी व्यवस्था और सुगम नियमों के, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भरोसा जीतना मुश्किल है।" UNCTAD रिपोर्ट में भी यही बात कही गई है कि सरकार को निवेश उत्साह बढ़ाने के लिए ठोस रणनीतियों पर जोर देना चाहिए।
सड़क परियोजनाओं की प्रगति और चुनौतियां
पोहरा–मुग्लिन सड़क का विकास
पोहरा–मुग्लिन सड़क परियोजना का 55.10% भौतिक कार्य और 42.50% वित्तीय कार्य पूर्ण हो चुका है। इस परियोजना का कुल 38.88 किलोमीटर का हिस्सा लगभग तैयार है।
अभी तक, 37.70 किलोमीटर सड़क का अश्फालकरण किया जा चुका है। वहीं, 13 पुलों में से 11 पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। विशेष रूप से, बिजयपुर पुल का काम 60% तक पहुंच चुका है, जबकि सबसे जटिल सेटि पुल का काम 48% ही हो पाया है। यह परियोजना चीन की कंपनी ऐन्हुई काययुआन और एशियाई विकास बैंक (ADB) की मदद से पूरी की जा रही है, जिसे इस सर्दी तक पूरा करने का लक्ष्य है।
परियोजना की बाधाएँ और आगे का रास्ता
शिलान्यास के समय तय समय से पहले ही काम हो रहा है, लेकिन डिज़ाइन संबंधी चुनौतियों और जल अवरोध के चलते काम में बाधाएँ आई हैं। यदि इस रफ्तार से काम चलता रहा, तो यह सड़क नेपाल के व्यापार और आवागमन में नई ऊर्जा भर सकती है।
जलविद्युत क्षेत्र में नई उम्मीद
सोलुखुम्बु का हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट
सोलुखुम्बु जिले में 82 मेगावाट का लोअर सोलु हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। यह प्रोजेक्ट 16 अरब रुपए की लागत से विकसित किया गया है।
यह परियोजना अब अपने परीक्षण चरण में है और इसके जरिए नेपाल को ऊर्जा सुरक्षा में मदद मिलने की उम्मीद है।
बता दें कि, इस परियोजना का निर्माण यूरोपीय वित्त संस्थानों जैसे एफएमओ के सहयोग से किया गया है। इसने स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं, जो क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
जल ऊर्जा का राष्ट्रव्यापी महत्व
नेपाल के पास जल संसाधनों की भरमार है, और सरकार का लक्ष्य है कि बड़ी हाइड्रोपावर परियोजनाओं के माध्यम से ऊर्जा खुद के स्रोत बन जाए।
साल २०३४ के अंत तक, इस क्षेत्र में और भी बड़े प्रोजेक्ट लाने की योजना है, जिससे देश का बिजली उत्पादन सामूहिक रूप से दोगुना हो सके।
खाद्यान्न की स्थिति और खेती की चुनौतियाँ
माघ माह में कृषि का संकट
मौसम की अनिश्चितता के कारण इस बार माघ महीने में धान की खेती में चिंता का माहौल है। केवल 46.83% धान की रोपाई हो सकी है, जो कि काफी कम है।
आसमान में बारिश का अभाव और सूखा स्थिरता के कारण खेत सूखे नजर आ रहे हैं।
खुदाई के पानी की कमी से फसलें प्रभावित हो रही हैं, और यदि अगले कुछ सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो धान का उत्पादन 25% तक गिर सकता है।
यह स्थिति न केवल खाद्यान्न सुरक्षा के लिए चिंताजनक है, बल्कि देश के जीडीपी पर भी भारी असर डाल सकती है।
आर्थिक प्रभाव और सरकार की पहल
पिछले साल, नेपाल ने 60 अरब रुपए का धान उत्पादन किया था। यदि इस बार गिरावट आई, तो यह खाद्य कीमतों को बढ़ावा देगा और आर्थिक तनाव बढ़ेगा।
सरकार ने आपूर्ति और जलस्रोत सुधार के लिए नई योजनाएँ शुरू की हैं, लेकिन मौजूदा हालात को सुधारने में अभी भी बहुत समय लगेगा।
मुद्रा नीति में बदलाव की तैयारी
बेस रेट में सुधार का कदम
नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) अपनी बेस रेट प्रणाली को अपडेट करने जा रहा है। यह प्रणाली पहली बार 2012 में लागू की गई थी।
अब, इसमें मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, लागत, जोखिम प्रीमियम, वैश्विक ब्याज दरें, और मार्जिनल लेंडिंग कॉस्ट को शामिल किया जाएगा।
इस बदलाव से बैंकों की ऋण प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, और लोग बेहतर ब्याज दरें पा सकेंगे। वर्तमान में, विभिन्न बैंक का बेस रेट 4.89% से लेकर 7% तक है।
आगामी बदलाव का प्रभाव
बेस रेट में इस बदलाव से छोटी-बड़ी सभी बैंक वित्तीय लेनदेन में बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। इसकी शुरुआत इस वित्तीय वर्ष में ही हो सकती है, जिससे आम जनता और उद्योग दोनों को फायदा मिलेगा।
यह कदम नेपाल की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय बाजार को मजबूत बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
निष्कर्ष: विकास का संकल्प और चुनौतियों का सामना
नेपाल की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई कठिनाइयां मौजूद हैं। बुनियादी ढाँचे, निवेश, और कृषि जैसे क्षेत्रों में सुधार आवश्यक है। सरकार और निजी सेक्टर को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।
भविष्य में ऊर्जा, सड़क और कृषि क्षेत्र में बढ़त से नेपाल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है। लेकिन, इसके लिए सतत और समन्वित प्रयास जरूरी हैं।
यह तस्वीर भविष्य में नेपाल के आर्थिक विज़न की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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अधिक जानकारी के लिए, आप नेपाल सरकार की Official वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।