वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र में प्राकृतिक गैस का अहम स्थान
आधुनिक ऊर्जा प्रणालियों में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यह ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है, जो न केवल बिजली उत्पादन में बल्कि घरों की हीटिंग और उद्योगों के संचालन में भी जरूरी है। 2025 की विश्व ऊर्जा समीक्षा में पता चला है कि प्राकृतिक गैस ने अपनी अहमियत बनाए रखी है, भले ही अधिकतर देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पारंपरिक ईंधनों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
2024 में वैश्विक प्राकृतिक गैस का उत्पादन और उपयोग
2024 में विश्व का कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन रिकॉर्ड 398.0 अरब क्यूबिक फीट प्रति दिन (Bcf/d) पर पहुंच चुका है। इसमें अमेरिका का हिस्सा लगभग 25% रहा, यानी करीब 100 Bcf/d का उत्पादन। यह संख्या 2023 की तुलना में थोड़ी कम जरूर हुई है, लेकिन फिर भी यह कनाडा से पांच गुना अधिक है।
यह सफलता मुख्य रूप से अमेरिका में शेल गैस क्रांति के कारण संभव हुई है, जिसने देश को दुनिया का सबसे बड़ा गैस उत्पादक और प्रमुख LNG निर्यातक बना दिया है।
रूस का योगदान और अंतरराष्ट्रीय स्थिति
रूस, जो 2011 में अमेरिका से पहले स्थान पर था, अभी भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक है। 2024 में रूस का उत्पादन लगभग 60.8 Bcf/d रहा है। हालांकि, यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस की गैस निर्यात क्षमता पर असर पड़ा है, खासकर यूरोप को भेजने वाली पाइपलाइनें प्रभावित हुई हैं। रूस अब एशियाई बाजारों पर विस्तार करने का प्रयास कर रहा है, परंतु इसमें कई तरह की logistical और राजनीतिक बाधाएँ हैं।
अफ्रीका और अन्य महाद्वीपों का योगदान
अफ्रीका में गैस उत्पादन तुलनात्मक रूप से कम है। अल्जीरिया इस महाद्वीप में सबसे बड़ा योगदान देता है, जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग 9.1 Bcf/d है। मिस्र और नाइजीरिया भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं। मगर, बुनियादी ढांचे की कमी और निवेश की कमी के कारण अफ्रीका की बढ़ती क्षमता अभी पूरी तरह से उपयोग में नहीं आ पाई है।
ग्लोबल गैस की मांग और इसके इस्तेमाल का क्षेत्र
2024 में विश्वभर में प्राकृतिक गैस की खपत भी अपने चरम पर पहुंच गई। यह आंकड़ा लगभग 398 Bcf/d है, जो 1990 के मुकाबले दोगुना से भी अधिक है। खास बात यह है कि इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा गैर-ओECD देशों से आया है, खासकर एशिया में।
अमेरिका अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा खपतकर्ता है, जिसकी दैनिक खपत लगभग 87 Bcf/d है। रूस दूसरे स्थान पर है, 46 Bcf/d के साथ। चीन तीसरे स्थान पर है, जहां 10 वर्षों में इसकी खपत दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है, जो देश की तेजी से工业ीकरण और प्रदूषण कम करने के प्रयासों का परिणाम है।
लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का बढ़ता महत्व
लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) के रूप में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है। LNG के माध्यम से गैस को आसानी से एक देश से दूसरे देश भेजा जा रहा है, जिससे वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो रही है। अमेरिका, कतर, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने LNG निर्यात में अहम भूमिका निभाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में LNG का उपयोग और बढ़ेगा, क्योंकि यह पारंपरिक पाइपलाइन नेटवर्क की तुलना में अधिक लचीला और अधिक आर्थिक विकल्प है।
आगे की दिशा और चुनौतियां
हालांकि प्राकृतिक गैस अभी भी ऊर्जा क्षेत्र में दबदबा बनाए हुए है, लेकिन इसमें भी कुछ चुनौतियां हैं। जैसे कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण पेरिस समझौते के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दुनिया ऊर्जा संक्रमण की दिशा में बढ़ रही है। इसके साथ ही, बैटरी टेक्नोलॉजी और नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
यह आवश्यक है कि सरकारें और निजी क्षेत्र मिलकर ऐसी नीतियों का निर्माण करें, जो ऊर्जा संतुलन और पर्यावरण-संरक्षण दोनों का ध्यान रखें। पर्यावरणविद् डॉ. सोनल शर्मा कहती हैं, “सभी ऊर्जा स्रोतों का संतुलित उपयोग ही स्थिर और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।”
निष्कर्ष
संपूर्ण विश्व में प्राकृतिक गैस का दबदबा अभी भी कायम है, खासकर ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिहाज से। हालांकि नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन प्राकृतिक गैस को अभी भी संक्रमणकालीन ईंधन माना जा रहा है। इसके निर्यात, उत्पादन और उपयोग की दिशा में होने वाले बदलाव, आने वाले वर्षों में वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को आकार देंगे।
अधिक जानकारी के लिए आप आधिकारिक रिपोर्टें देख सकते हैं। इस विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करें।
[यह लेख विश्व ऊर्जा रिपोर्ट और विशेषज्ञ टिप्पणियों पर आधारित है।]