हेरानी और आश्चर्य के साथ भारत में नई मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस का जन्म
देश में डिजिटल मोबिलिटी का क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है, जहां ओला, Uber, Rapido जैसे ऐप-आधारित राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म लाखों यात्रियों और ड्राइवरों को जोड़ रहे हैं। इस बदलाव के साथ ही यह सवाल भी उठने लगे थे कि इन सेवाओं की सुरक्षा, पारदर्शिता और नियमों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाए। ऐसे में, सरकार ने 2025 में नई मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस जारी करके इस क्षेत्र को एक नई दिशा दी है। इस अद्यतन नियमावलि का उद्देश्य नियमों का सख्ती से पालन, ड्राइवरों और यात्रियों के हितों का संरक्षण, और पर्यावरणीय मानकों को बढ़ावा देना है।
गाइडलाइंस की मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य
ड्राइवरों का सुरक्षा कवच
पहले के नियमों में कई ड्राइवरों को न्यूनतम आय, बीमा, और कानूनी सुरक्षा की कमी महसूस होती थी। नई गाइडलाइंस इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। अब, प्रत्येक प्लेटफॉर्म को सुनिश्चित करना होगा कि ड्राइवरों को प्रति घंटा या प्रति दिन न्यूनतम आय मिले। इसके अलावा, उन्हें Rs 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा और Rs 10 लाख का टर्म इंश्योरेंस भी देना अनिवार्य किया गया है।
पारदर्शिता और निष्पक्षता
फीस और कमीशन के संबंध में भी बदलाव हुआ है। अब, अधिकांश मामलों में, प्लेटफार्म अपने कमीशन को 20% तक सीमित करने का आदेश है। यात्री और ड्राइवर दोनों को ही भुगतान में हुई कटौती का साफ-साफ विवरण दिखाना होगा। इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और दोनों पक्षों का भरोसा मजबूत होगा।
सुरक्षा और यात्री सुविधाएं
यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर, अब सभी वाहन GPS ट्रैकिंग, इन-ऐप आपात बटन, और ट्रिप शेयरिंग जैसी सुविधाओं से लैस होंगे। इसके अलावा, ड्राइवरों की पुलिस वेरिफिकेशन, स्वास्थ्य जाँच और व्यवहार प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। यात्री सुरक्षा का ध्यान रखते हुए, 24×7 हेल्पलाइन सेवा और कंट्रोल रूम का भी प्रावधान है।
यूरोप-से-आगे भारत: नई गाइडलाइंस का महत्त्व
यह नई नीति केवल नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गिग अर्थव्यवस्था में वृद्धिशील और स्थायी बदलाव लाने का भी प्रयास है। पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की नेतृत्व में, सरकार ने इस क्षेत्र को नियमन और संरक्षण दोनों का संतुलन प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। विशेष रूप से, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर संक्रमण को बढ़ावा देना जरूरी माना जा रहा है, ताकि पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
संबंधित कानूनी और न्यायिक आधार
कानूनी दृष्टिकोण से, भारतीय संविधान में धारा 39 और 21 का उल्लेख इन नियमों के पीछे मजबूत आधार है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई निर्णय, जैसे Uber भारत व अन्य मामलों में, नीतियों का समर्थन करते हैं जिसमे कहा गया है कि, सड़क परिवहन का क्षेत्र न केवल बाजार का हिस्सा है, बल्कि यह नागरिकों के जीवन और आजीविका का आधार भी है। इस नई गाइडलाइंस को इसी न्यायिक व संवैधानिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
स्थानिक सरकारों का रोल और सरकारी प्रयास
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस व्यवस्था को लागू करेंगी। राज्य अपने हिसाब से लाइसेंसिंग, फेयर स्ट्रक्चर व fare regulation कर सकते हैं। इसके साथ ही, राज्यों को EV लक्ष्यों, ड्राइवर ट्रेनिंग, और रोड सेफ्टी के कार्यक्रम भी लागू करने का अधिकार दिया गया है। इस भागीदारी से, भारत का सड़क परिवहन तंत्र अधिक सुदृढ़ और जिम्मेदार बन रहा है।
उम्मीदें और आगे का रास्ता
यह दिशानिर्देश भारत की गिग इकोनॉमी को नए मानकों और जिम्मेदारी का परिचय कराते हैं। यदि इन नियमों का सही तरीके से पालन हुआ, तो यह न केवल ड्राइवरों के जीवन में बदलाव लाएगा, बल्कि यात्रियों के अनुभव को भी बेहतर बनाएगा। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और सड़क सुरक्षा के लिहाज से यह कदम जरूरी है। यह नीति हमारी साँसों को साफ रखने, सुरक्षित यात्रा का अधिकार सुनिश्चित करने और समावेशी आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
निष्कर्ष
भारत में डिजिटल जमाने में वर्कर प्रोटेक्शन और सुरक्षा सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है, लेकिन यह जरूरी भी है। नई मोतोर वाहन गाइडलाइंस का उद्देश्य है कि गिग वर्कर्स को सम्मान और सुरक्षा मिले, और यात्रियों को मिल सके एक भरोसेमंद, सुरक्षित और पारदर्शी सेवा। इस कदम से न केवल भारत का राइड-हेलिंग सेक्टर बल्कि पूरी देश की सड़क सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता मजबूत होगी। यह बदलाव भारत के भविष्य की डिजिटल और सतत अर्थव्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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