Jal Jeevan अभियान में 80% से अधिक घरों में नल जल, लेकिन कुछ राज्यों में अब भी चुनौतियों का सामना

भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्धता का बड़ा कदम: 80% से अधिक घरों में नल जल पहुंचाया गया

2019 में शुरू हुआ Jal Jeevan Mission (JJM) भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य था हर घर में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना। यह योजना देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ और निर्बाध जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। अब तक की प्रगति के अनुसार, भारत के लगभग 80.38% ग्रामीण घरों में नल से जल की सुविधा पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा 3.23 करोड़ घरों से बढ़कर 15.57 करोड़ घरों तक पहुंच गया है, जो सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता को दर्शाता है।

कब और कैसे हुआ यह बदलाव?

जाल जीवन मिशन ने छह वर्षों में करीब 12.34 करोड़ नई नल कनेक्शनों को जोड़ने में सफलता प्राप्त की है। भारत में कुल 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से अधिकांश अब पाइप के माध्यम से पीने का पानी प्राप्त कर रहे हैं। छोटे राज्यों जैसे पुद्दुचेरी, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव ने 100% कवरेज हासिल कर लिया है। बड़े राज्यों में गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना ने भी यह सफर पूरा कर लिया है।

बजट, योजना और विस्तार

2019-2024 के लिए केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिए ₹2,08,652 करोड़ का बजट मंजूर किया था। अब तक, FY 2023-24 तक ₹1,85,958 करोड़ का उपयोग किया जा चुका है। बाकी का पैसा अगले वित्तीय वर्ष के लिए सुरक्षित है। सरकार ने इस मिशन को 2028 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है और बजट में भी बढ़ोतरी की है। 2025-26 के बजट में ₹67,000 करोड़ का आवंटन किया गया है। इसकी दिशा में अब मुख्य फोकस जल की गुणवत्ता, रखरखाव और उपभोक्ता के बीच बेहतर सेवा वितरण पर है।

विपरीत चित्र: कुछ राज्यों में अभी भी चुनौतियां

हालांकि देश का बड़ा भाग इस मिशन में सफल हो रहा है, कुछ प्रदेश अभी भी पीछे हैं। विशेष रूप से केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में पिछड़ाव देखने को मिल रहा है। इन राज्यों में कवरेज अभी भी आधे से कम है – केरल में यह आंकड़ा सिर्फ 54.48%, झारखंड में 54.85%, पश्चिम बंगाल में 55.20% और राजस्थान में 56.12% है। ये आंकड़े स्थानीय संसाधनों की कमी, स्रोत प्रबंधन में खामियों और लॉजिस्टिक चुनौतियों को दर्शाते हैं।

सभी राज्यों का प्रयास और चुनौतियां

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 237.89 लाख घरों को पानी की आपूर्ति की गई है, जो देशभर में सबसे अधिक संख्या है। बिहार में यह संख्या 160.36 लाख है। इन दो बड़े राज्यों में भी 100% कवरेज अभी तक संभव नहीं हुआ है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने भी एक करोड़ से अधिक घरों को जल कनेक्शन दिया है, लेकिन हिल, आदिवासी और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में अभी भी कार्य और पहुंच में बाधाएं हैं।

आगे की दिशा: स्थिरता और गुणवत्ता पर जोर

विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि सिर्फ कनेक्शन देना ही नहीं, बल्कि जल की स्थिर उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता भी जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सिर्फ घरों तक पानी पहुंचाना पर्याप्त नहीं है। हमें सुनिश्चित करना है कि सालभर जल की आपूर्ति बनी रहे, स्रोत सुरक्षित हों और देखरेख सही तरीके से हो।” यदि इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो नई लाइनों में पानी का प्रवाह सुनिश्चित नहीं रहेगा और पानी की समस्या बनी रहेगी।

क्या है आगे की योजना?

सरकार ने निश्चित किया है कि इस मिशन का फोकस अब टिकाऊपन पर रहेगा। जल स्रोतों का संरक्षण, पाइपलाइन की मरम्मत, गुणवत्ता जांच और स्थानीय निकायों का प्रशासनिक सशक्तिकरण नए क्रम में शामिल हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या का स्थायी समाधान संभव हो सकेगा।

निष्कर्ष

जाल जीवन मिशन भारत में ग्रामीण विकास का एक बड़ा कदम है, जिसने लाखों परिवारों को जल की सुविधा दी है। इस योजना से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना ज़रूरी है ताकि यह स्थायी और समावेशी बन सके। देश का विकास तभी संभव है, जब हर घर में पानी की सुविधा सतत और सुरक्षित होगी। भविष्‍य की दिशा में, हमें जल संसाधनों का संरक्षण और सही प्रबंधन अपनाना चाहिए, ताकि यह योजना न सिर्फ आंकड़ों में बल्कि जीवन में भी बदलाव ला सके।

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