परिचय: यूरोपीय Horizon 2020 कार्यक्रम और इस्राइल की भागीदारी
2014 में, इस्राइल ने आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ के Horizon 2020 अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रम में भाग लेने की शुरुआत की। यह कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा शोध और नवाचार प्रोग्राम था, जिसमें लगभग 93 अरब डॉलर का बजट था। इसका मुख्य उद्देश्य नयी खोजें, नवाचार और विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करना था। यह कार्यक्रम तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित था: उत्कृष्ट विज्ञान, औद्योगिक नेतृत्व और सामाजिक चुनौतियाँ जैसे कि जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य, परिवहन और सुरक्षा।
इस्राइल का Horizon 2020 में सहभागी बनना
इस्राइल का इस कार्यक्रम में भाग लेना 1996 से शुरू हुआ था, और यह पहले गैर-यूरोपीय देश के रूप में इसे शामिल किया गया था। हालांकि, इसकी भागीदारी पर कुछ राजनीतिक प्रतिबंध भी लगाए गए थे। खास तौर पर, यह सुनिश्चित किया गया कि केवल 1967 की सीमाओं के भीतर रहने वाले वैज्ञानिक और संस्थान ही भाग ले सकते हैं। Horizon 2020 के इस नियम का उद्देश्य था कि शोध में राजनीतिक विवादों का असर न हो।
पार्श्वभूमि और प्रतिबंध
यह भी ध्यान देना जरूरी है कि इस कार्यक्रम में उन क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया था, जहाँ dual-use (सामरिक और नागरिक दोनों प्रयोग के लिए) तकनीकों का उपयोग होता है। इसमें रक्षा या अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों को शामिल किया गया था। इस प्रतिबंध का परिणाम यह हुआ कि, несмотря कि इस्राइल के वैज्ञानिक विश्वस्तरीय अनुसंधान कर रहे थे, कुछ क्षेत्रों में उनका काम प्रतिबंधित रहा। उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य, बायोटेक्नोलॉजी, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में इस्राइल ने अच्छा प्रदर्शन किया।
राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
प्रथम दृष्टया, यूरोपीय संघ ने राजनीतिक कारणों से इस्राइल की कई क्षेत्रों में भागीदारी को सीमित कर दिया। खास बात यह है कि, जहाँ एक ओर यूरोपीय देशों ने इस्राइल के कुछ तकनीकों को प्रतिबंधित किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने इन तकनीकों का प्रयोग करके अपने सैन्य उपकरण खरीदना शुरू कर दिया। इसे देखकर कहा जा सकता है कि राजनीतिक विवाद के बावजूद, तकनीक और सैन्य उपकरण की खरीद में यूरोप और इस्राइल की आपसी निर्भरता बनी रही।
प्रश्न: क्या यह संबंध स्थायी है?
पिछले वर्षों में, अनेक बार इस्राइल को Horizon कार्यक्रम से बाहर करने की मांग हुई है। विशेष रूप से, इस्राइल के मानवाधिकार और मानवतावादिक नियमों पर सवाल उठाए गए हैं। हाल के समय में, गाजा युद्ध के दौरान, इन असहमति और आरोप-प्रत्यारोप का स्तर और बढ़ गया है। कई विश्वसनीय स्रोतों का मानना है कि इस्राइल की भागीदारी अब पहले से काफी कम हो गई है, और यह मुख्य रूप से नाम का रह गया है।
यूरोप की स्थिति और इस्राइल का विकल्प
यह समय है कि इस्राइल अपनी रणनीति बदले और यूरोपीय संघ पर अपनी निर्भरता कम करे। यूरोप की आर्थिक स्थिति, राजनीतिक अस्थिरता, और जनसंख्या घटने जैसी समस्याएँ इस क्षेत्र को कमजोर बना रही हैं। लोकप्रिय धारणा है कि यूरोप में अब नई तकनीकों और आर्थिक विकास की गति धीमी हो रही है, जबकि चीन जैसे देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
आशियाई Horizon का विचार
इस संदर्भ में, इस्राइल के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वह एक ‘आशियाई Horizon’ जैसी योजना शुरू करे। यह योजना यूरोपीय Horizon की तरह ही होगी, लेकिन इसमें बिना 1967 की सीमाओं की बाधा के नियम होंगे। इससे दोनों क्षेत्रों के बीच नई सहयोग की राह खुलेगी।
आगे का रास्ता और निष्कर्ष
उपसंहार में कहा जा सकता है कि, वर्तमान वैश्विक स्थिति में, इस्राइल के लिए यूरोप की राजनीति से अलग होकर अपने खुद के रास्ते बनाना जरूरी हो गया है। चीन और दूसरे एशियाई देशों के साथ संबंध मजबूत करना, ऊर्जा, रक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों में नई साझेदारी स्थापित करना, इस्राइल के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है। यह कदम न सिर्फ़ उसकी आर्थिक और सैन्य ताकत बढ़ाएगा, बल्कि उसे वैश्विक राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर देगा।
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