क्या विश्व की ऊर्जा समस्या का समाधान जल्द ही मिलने वाला है? न्यूक्लियर फ्यूजन की रेस ने मचाई हलचल

परमाणु फ्यूजन: क्या यह ऊर्जा की अंतिम क्रांति है?

ऐसे समय में जब हमें ऊर्जा की लगातार बढ़ती मांग का सामना करना पड़ रहा है, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की नजरें खास तौर पर न्यूक्लियर फ्यूजन पर टिक गई हैं। यह ऊर्जा का स्रोत, जिसे कभी-कभी “सुपर सोलर” कहा जाता है, अपने निरंतर और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की क्षमता के कारण विश्व स्तर पर चर्चा में है। इस प्रक्रिया में दो हल्के परमाणु नाभिक मिलकर भारी ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जो पारंपरिक फिशन से ज्यादा स्वच्छ और टिकाऊ माना जाता है।

वर्तमान में, ऊर्जा संकट और पर्यावरणीय चिंताओं के चलते विश्व के कई देश इस फ्यूजन रेस में शामिल हो गए हैं। इस अहिंसक तकनीक का उद्देश्य है, यह जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करे और विश्व को ऊर्जा का स्थायी स्रोत प्रदान करे। लेकिन, इस लक्ष्य को हासिल करने की राह आसान नहीं है। वैज्ञानिकों का मुख्य ध्यान है, गर्मी को नियंत्रित करने और चुंबकीय कक्ष में उच्च तापमान बनाए रखने में।

इतिहास और वर्तमान में न्यूक्लियर फ्यूजन का सफर

शुरुआत और विकास

1930 के दशक में, जब त्रिटियम का पता चला, तब से इस क्षेत्र में रुचि बढ़ने लगी। उस समय के वैज्ञानिकों ने सोचा कि यदि हम ड्यूटीरियम और ट्रिटियम को मिलाकर फ्युजन कर सकें, तो इससे बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त हो सकती है। परंतु द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इस दिशा में शोध गतिविधि कुछ समय के लिए स्थगित हो गई।

1985 में, जिनेवा में जो सम्मेलन हुआ, उसने इस क्षेत्र में नई उम्मीद जगा दी। उस वक्त सोवियत संघ, अमेरिका, और यूरोपीय यूनियन ने मिलकर ITER परियोजना की दिशा में कदम बढ़ाया। यह परियोजना, जो आज विश्व का सबसे बड़ा फ्यूजन ऊर्जा प्रोजेक्ट है, का उद्देश्य है, ऊष्मा और चुंबकीय क्षेत्रों का प्रयोग कर ऊर्जा का उत्पादन करना।

ITER और उसकी प्रगति

2001 में, ITER का अंतिम डिज़ाइन मंजूर हुआ। इसके बाद, चीन, दक्षिण कोरिया, भारत, और जापान जैसी प्रमुख देशों ने भी इस प्रोजेक्ट में भागीदारी की। फ्रांस के अबेक्स-एन-प्रोवेंस जगह पर इस विशाल प्रयोगशाला का निर्माण हुआ। अब, इस परियोजना का लक्ष्य है कि 2036 तक पूरा सिस्टम विकसित हो जाए, और 2039 तक ट्रिटियम-ड्यूटीरियम फ्यूजन प्रक्रिया शुरू हो सके।

हाल ही में, ITER ने अपने प्रोजेक्ट को मजबूत बनाने के लिए नए अपडेट किए हैं, जिनमें अधिक परिपक्व मशीन और बेहतर उपकरण शामिल हैं। इससे उम्मीद है कि इस तकनीक से ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेजी आएगी।

दुनिया की प्रतिस्पर्धा और चीन का कदम

किंतु, ITER की इस प्रगति के बीच, निजी और सरकारी संस्थान भी अपने अपने प्रयासों में लगे हैं। चीन ने हाल ही में अपने “EAST” नामक प्रोजेक्ट में सफलता हासिल की है। चीन का यह “आर्टिफिशियल सन” अपने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए लगभग 18 मिनट तक प्लाज्मा को स्थिर बनाए रखने में कामयाब रहा, जो अब तक का सबसे लंबा रिकॉर्ड है।

यह सफलता दर्शाती है कि बड़े पैमाने पर फ्यूजन का प्रयास तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और भारत भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं। ये देश नए डिजाइन और तकनीकों पर काम कर रहे हैं ताकि, ज्यादा तेजी से और कम लागत में, ऊर्जा का उत्पादन संभव हो सके।

क्या फ्यूजन ऊर्जा भविष्य का समाधान है?

फ्यूजन ऊर्जा को लेकर आशंकाएँ और उत्साह दोनों बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तकनीकी चुनौतियों को पार किया जा सके, तो यह ऊर्जा स्रोत ऊर्जा की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह ऊर्जा केवल स्वच्छ और सुरक्षित ही नहीं, बल्कि स्रोत भी बहुत हद तक अक्षय माना जाता है।

इस प्रक्रिया में प्रयुक्त ईंधन, जैसे ड्यूटीरियम और ट्रिटियम, समुद्र और लिथियम से आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं, जो इसे और भी टिकाऊ बनाते हैं। इसके अलावा, फ्यूजन रिएक्टर का रिएक्शन रिएक्टर में ही खत्म हो जाता है, जिससे रेडिएशन और परमाणु कूड़ा बनाने की समस्या कम हो जाती है।

आखिर में, क्या हमें इंतजार करना चाहिए?

अब सवाल यह उठता है कि, दुनिया की ऊर्जा समस्याओं का समाधान कब तक मिलेगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि, अभी भी रास्ता लंबा है, लेकिन प्रगति की रफ्तार देखकर ऐसा लगता है कि 15-20 वर्षों के भीतर हम इस तकनीक के व्यावहारिक उपयोग को देख सकते हैं।

जैसे-जैसे नई तकनीकों का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे फ्यूजन ऊर्जा के भविष्य के बारे में आशाएं मजबूत हो रही हैं। इस दिशा में किए गए प्रयास दर्शाते हैं कि वैज्ञानिक नए आविष्कारों और अनुसंधानों में लगे हुए हैं, ताकि हम एक स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी ऊर्जा स्रोत का लाभ जल्दी से प्राप्त कर सकें।

इस विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करें और इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने मित्रों के साथ साझा करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *