फास्टैग का उपयोग धीमी गति से बढ़ रहा है: UIDAI CEO का विश्लेषण
डिजिटल भुगतान और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में स्वचालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने फास्टैग सिस्टम को जोरशोर से लागू किया है। हालाँकि, अभी भी इसे लेकर व्यापक स्वीकृति और उपयोग में तेजी नहीं देखी गई है। हाल ही में UIDAI (Unique Identification Authority of India) के CEO ने इस विषय पर अपना विश्लेषण साझा किया है, जो इस उन्नत तकनीक की वर्तमान स्थिति और आगे के रास्ते को समझने में मदद करता है।
फास्टैग का परिचय और उसकी महत्ता
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है, जो सड़क मार्ग से गुजरते समय टोल प्लाजा पर पैसे नहीं देने की सुविधा प्रदान करता है। यह एनालॉग सिस्टम की तुलना में अधिक तेज, सुविधाजनक और ट्रांसपेरेंट है। देश में लगभग 2 करोड़ से अधिक वाहन अब फास्टैग का उपयोग कर रहे हैं, परंतु अभी भी इसके पूरे देशभर में अपनाने की गति धीमी है।
UIDAI CEO का विश्लेषण: क्यों हो रहा है धीमा प्रगति?
डॉ. राकेश कुमार, जो UIDAI के सीईओ हैं, ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि डिजिटल इंडिया के तहत किए गए प्रयासों के बावजूद, फास्टैग की स्वीकृति में धीमी गति मुख्य रूप से दो कारणों से हो रही है। पहला, जागरूकता की कमी और दूसरा, तकनीकी समस्याएँ।
डॉ. कुमार ने कहा, “अधिकांश लोग अभी भी नकद भुगतान पर निर्भर हैं या फिर पुराने सिस्टम को छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में तकनीकी बाधाएँ भी हैं, जैसे कि नेटवर्क की समस्या या फास्टैग से जुड़ी हार्डवेयर की उपलब्धता की कमी।”
सरकार और निजी सेक्टर की कोशिशें
सरकार ने विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से जनता को फास्टैग के फायदे बताने का प्रयास किया है। इसके अलावा, कई निजी कंपनियों ने भी अपने ग्राहकों को फास्टैग प्राप्त करने और इसे सक्रिय करने में मदद करनी शुरू की है। उदाहरण के तौर पर, National Payments Corporation of India (NPCI) ने अपने प्लेटफॉर्म के जरिए फास्टैग की खरीद प्रक्रिया को आसान बना दिया है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि फास्टैग को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार को रोड ऑनबोर्डिंग के साथ-साथ टोल प्लाजा पर सुविधा में सुधार भी करना चाहिए। इससे यात्रियों का भरोसा बढ़ेगा और वे अधिक तेजी से इसमें भागीदारी करेंगे।
क्या है आगे का रास्ता?
डॉ. कुमार का कहना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए फास्टैग का भविष्य उज्जवल दिखता है, यदि जागरूकता और तकनीकी सुधारों पर ध्यान दिया जाए। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि 2025 तक, फास्टैग का उपयोग लगभग 90% वाहनों तक पहुंच जाएगा, जिससे टोल संग्रह में पारदर्शिता और तेज़ी आएगी।
इसके साथ ही, देश में नई तकनीकों जैसे कि IoT (Internet of Things) और AI (Artificial Intelligence) का उपयोग करके फास्टैग सिस्टम को और भी स्मार्ट बनाने की योजना है। इससे न केवल टोल भुगतान में सुविधा बढ़ेगी, बल्कि यातायात प्रबंधन भी बेहतर होगा।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने का एक बड़ा सामाजिक प्रभाव यह है कि नकद भुगतान के स्थान पर डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं में कमी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकार को टैक्स संग्रह भी बेहतर तरीके से होगा।
आर्थिक दृष्टि से देखें तो फास्टैग से यात्रा खर्च में कमी आएगी और यातायात की समस्या भी कम होगी, क्योंकि इससे ट्रैफिक का प्रवाह स्मूथ होगा। यह तकनीक छोटे व्यवसायियों और ट्रक ऑपरेटरों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है, जिन्हें अक्सर टोल भुगतान में देरी का सामना करना पड़ता है।
आम जनता की राय और सुझाव
अधिकांश यात्रियों का मानना है कि यदि फास्टैग का उपयोग आसान और सस्ता हो जाए, तो वे इसे तुरंत अपनाएँगे। कुछ ने सुझाव दिया कि सरकार को डिजिटल पेमेंट और फास्टैग का प्रचार-प्रसार अधिक तीव्रता से करना चाहिए।
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निष्कर्ष और भविष्य की दिशा
डिजिटल इंडिया के युग में, फास्टैग जैसे नए तकनीकें हमारे ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अधिक स्मार्ट और पारदर्शी बना रही हैं। भले ही अभी इसमें समय लग रहा है, लेकिन सरकार और निजी सेक्टर मिलकर इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में, फास्टैग का उपयोग हर वाहन में सामान्य बात बन जाएगी, जिससे देश का ट्रांसपोर्ट नेटवर्क और भी मजबूत और प्रभावी बनेगा।
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