ड्रग उत्पादन में कठिनाई और कीमतों का महत्व
देश की एक प्रमुख फार्मास्युटिकल कंपनी, Renata PLC, ने हाल ही में अपने उत्पाद लाइन में लगभग 30 प्रतिशत की कटौती की है। इस कदम का मुख्य कारण उत्पादन लागत का बढ़ना है, जो बिक्री कीमतों से अधिक हो गई है। इस मुद्दे पर विशेषज्ञ और उद्योग के नेता चेतावनी दे रहे हैं कि यदि कीमतों में सुधार नहीं किया गया तो देश में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता संकट में पड़ सकती है।
क्या है इस समस्या की जड़?
इस समस्या का मूल कारण है कि रूस, चीन जैसे देशों से अपेक्षाकृत अधिक कीमत पर आयात की जाने वाली कच्ची सामग्री और डॉलर के मुकाबले टका का कमजोर होना। COVID-19 महामारी के बाद से टका में लगभग 43 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे आयात लागत बढ़ गई है। इस स्थिति में, कंपनियों के लिए अपने उत्पादन को बनाए रखना कठिन हो रहा है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा आवश्यक दवाओं की कीमतों को लेकर दी गई 1994 की सरकारी सर्कुलर के तहत, 117 आवश्यक दवाओं के कीमतें निर्धारित हैं, लेकिन गैर-आवश्यक दवाओं की कीमतें कंपनी ही तय कर सकती हैं। फिर भी, सरकार ने अभी तक इन कीमतों में बढ़ोतरी की अनुमति नहीं दी है।
सरकार की नीतियों और उनके असर
संबंधित अधिकारी और नीति निर्माता कहते हैं कि राजनीतिक कारणों से कीमतें नहीं बढ़ाई जा रही हैं। पूर्व में, राजनीतिक दबाव के कारण सरकार ने आवश्यक दवाओं की कीमतें नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया था। वर्तमान सरकार भी इस मुद्दे पर सख्ती से चुप है और कोई भी कीमत बढ़ोतरी की अनुमति नहीं दे रही है।
यह नीति न केवल उद्योग के लिए समस्याएँ खड़ी कर रही है, बल्कि सरकार के लिए भी चुनौती बन गई है। यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो देश में दवाओं की कमी हो सकती है, जो मानव जीवन एवं स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
कंपनियों का कदम: दवाओं का उत्पादन कम करना
रेंजटा जैसे बड़े उद्योगों का कहना है कि उन्होंने अपने 626 उत्पादों में से 194 को बाजार से हटा दिया है। यह संख्या न केवल चिंता का विषय है, बल्कि यह दर्शाती है कि बहुत सारी कंपनियां अपने व्यवसाय को अस्थायी या स्थायी रूप से बंद करने के रास्ते पर हैं।
उद्योग सूत्र बताते हैं कि लगभग 25 से 30 प्रतिशत दवाओं की पेशकश अब बाजार में नहीं है। इसका बड़ा कारण है कि कंपनियों के लिए उत्पादन लाभदायक नहीं रह गया है। इस स्थिति में, यदि सरकार ने कीमतों में सुधार नहीं किया, तो यह सिलसिला और भी बढ़ सकता है।
आयात पर निर्भरता और संभावित चुनौतियाँ
देश की दवाओं की आपूर्ति पर आयात का काफी बड़ा हिस्सा निर्भर है। यदि उत्पादन बंद हो जाता है, तो हमें आयात पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, जो कि अधिक महंगा पड़ता है। इससे न केवल दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी बल्कि सामान्य जनता को भी इसका बड़ा नुकसान होगा।
विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि उत्पादन में कटौती जारी रहती है, तो देश में आवश्यक दवाओं की कमी हो सकती है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। सरकार को तत्काल इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है, ताकि उद्योग और जनता दोनों का हित सुरक्षित रहे।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और अन्य देशों की नीतियाँ
कुछ देशों ने अपनी दवाओं की कीमतें नियंत्रित कर रखी हैं या फिर उत्पादन लागत के अनुसार राहत दी है। भारत में भी, कई विशेषज्ञ और उद्योग संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि आवश्यक दवाओं की कीमतों को समय-समय पर संशोधित किया जाना चाहिए। इस दिशा में सरकार को फैसला लेना चाहिए, ताकि उद्योग की अनिश्चितता खत्म हो सके।
क्या हैं समाधान और सुझाव?
- मूल्य नियंत्रण कानूनों का संशोधन: आवश्यक दवाओं के साथ-साथ गैर-आवश्यक दवाओं की कीमतें भी सरकार द्वारा निर्धारित की जाएं।
- आयात पर निर्भरता कम करना: घरेलू स्तर पर कच्चे माल का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके।
- प्रोत्साहन और सब्सिडी: सरकार उद्योग को लागत कम करने के लिए प्रोत्साहन दे, जैसे कि सब्सिडी या कर छूट।
- समय-समय पर मूल्य समीक्षा: बाजार की स्थिति और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए कीमतों की समीक्षा करना।
यह सब कदम मिलकर उद्योग को मजबूत कर सकते हैं और जनता को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध करा सकते हैं। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह उद्योग के साथ संवाद बनाए रखे और दीर्घकालिक समाधान पर काम करे।
निष्कर्ष: लंबी अवधि के लिए जरूरी कदम
देश की स्वास्थ्य सेवा एवं औद्योगिक स्थिरता दोनों के लिए, यह जरूरी है कि सरकार, उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग बढ़े। यदि उत्पादन लागत को नियंत्रित किया गया और कीमतों में वाजिब वृद्धि की अनुमति दी गई, तो न केवल उद्योग सुरक्षित रहेगा बल्कि जनता को भी लाभ पहुंचेगा।
आखिर में कहा जा सकता है कि उचित मूल्य निर्धारण और आयात-निर्भरता पर नियंत्रण ही देश में स्वस्थ और सस्ती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकता है। इस दिशा में हुई पहलें और निर्णय आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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