केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने बुधवार को सात राज्यों में छापेमारी कर साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क से जुड़े मुख्य तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के तहत, एजेंसी ने म्यूल खातों का उपयोग कर करियर फ्रोड के अपराधियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है।
सीबीआई ने ‘ऑपरेशन चक्रव्यूह’ के तहत दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में कई स्थानों पर तलाशी ली। इस दौरान, मोबाइल फोन, बैंक खाते खोलने के दस्तावेज, लेनदेन रिकॉर्ड और केवाईसी कागजात जब्त किए गए हैं।
सीबीआई का कहना है, “इस ऑपरेशन में तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जो म्यूल खातों का सक्रिय रूप से संचालन और उपयोग कर साइबर धोखाधड़ी के लाभ को छुपाने में शामिल थे।” एजेंसी ने 25 जून को 37 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें म्यूल खाता धारक, मध्यस्थ और बैंक कर्मचारी शामिल हैं, जो साइबर अपराधियों के साथ मिलीभगत कर रहे थे।
सीबीआई ने 26-27 जून को विभिन्न राज्यों में 40 स्थानों पर दो दौर की खोजबीन की, जिसमें 10 आरोपियों को हिरासत में लिया गया। एजेंसी का मानना है कि साइबर क्राइम के खिलाफ जंग में रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया गया है, जो अपराध की मुख्य संरचनात्मक आधारों को टारगेट करता है।
सीबीआई के अनुसार, पहली संरचना वित्तीय ढांचा है, जिसमें म्यूल खातों, अनधिकृत पेमेंट गेटवे और फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र का दुरुपयोग किया जाता है। दूसरी संरचना टेलीकॉम/संचार ढांचा है, जिसमें म्यूल सिम कार्ड, पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) एजेंट और ऐसी सिम कार्ड की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क शामिल हैं।
तीसरी प्रमुख संरचना मानव संसाधन नेटवर्क है, जिसमें संगठित गिरोह शामिल हैं, जो साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए लोगों की भर्ती और शोषण करते हैं, जिसे ‘साइबर गुलामी’ कहा जाता है। यह नेटवर्क अक्सर भारत के बाहर सक्रिय रहता है।
सीबीआई का यह कदम साइबर अपराध की जड़ों को तोड़ने और अपराधियों की कमर तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। एजेंसी ने आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रखने का संकेत दिया है।