अज़ीम हाशिम प्रेमजी भारत के उन गिने-चुने उद्योगपतियों में से हैं जिनकी पहचान केवल कारोबारी सफलता से नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानवीय मूल्यों से होती है। वे विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd.) के संस्थापक नहीं, बल्कि पुनर्निर्माता हैं — जिन्होंने एक तेल बेचने वाली कंपनी को वैश्विक आईटी कंपनी में…
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लेंसकार्ट की आँखों की रोशनी: चुनौतियों से उभरती एक कंपनी
2010 में पेपाल माफिया के एक मेंबर, पीयूष बंसल ने लेंसकार्ट की शुरुआत की, लेकिन ऑनलाइन चश्मा बेचने का विचार उस समय हास्यास्पद लगता था। लोग चश्मे को ऑनलाइन खरीदने से हिचकते थे क्योंकि वे इसे पहले आजमाना चाहते थे। पहली चुनौती थी ग्राहकों का भरोसा जीतना। लेंसकार्ट ने होम…
ओयो का उतार-चढ़ाव: एक कमरे से ग्लोबल होटल चेन तक
रितेश अग्रवाल, एक 19 साल के लड़के ने 2013 में ओयो रूम्स की शुरुआत की, लेकिन उनकी कहानी किसी परीकथा से कम नहीं। रितेश ने कॉलेज छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू किया, जब उनके पास रहने के लिए किराए का पैसा भी नहीं था। शुरुआत में, ओयो एक छोटा सा प्लेटफॉर्म…
पेटीएम की जंग: एक छोटे शहर से डिजिटल क्रांति तक
विजय शेखर शर्मा, एक छोटे से शहर अलीगढ़ के युवक, ने 2010 में पेटीएम की नींव रखी, लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। शुरुआत में, भारत में डिजिटल पेमेंट का कॉन्सेप्ट लगभग अनसुना था। लोग नकद पर भरोसा करते थे, और ऑनलाइन लेनदेन को जोखिम भरा माना जाता था। विजय…