ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन में रसायनों और बायोसाइड्स की अनावश्यक deregulation का खतरनाक खेल

ब्रिटेन में रसायनों और बायोसाइड्स की regulation कैसे बदल रही है?

ब्रिटेन सरकार ने हाल ही में एक अद्भुत और विवादास्पद प्रस्ताव पेश किया है, जिससे रसायनों और बायोसाइड्स (biocides) के नियमों में बड़े पैमाने पर बदलाव की संभावना है। इस बदलाव का उद्देश्य है, उद्योगों के लिए लागत कम करना और व्यवसायिक प्रक्रियाओं को आसान बनाना। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
इस विषय में नई नीतियों का उद्देश्य मुख्य रूप से विदेशी देशों में स्वीकृत रसायनों को बिना व्यापक जाँच के ब्रिटेन में भी उपयोग की अनुमति देना है। ऐसा करने के लिए, सरकार ने एक विवादास्पद प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें विदेशी नियामक एजेंसियों द्वारा स्वीकृत रसायनों को ब्रिटेन में भी स्वीकार कर लिया जाएगा।

क्या हैं नई नीतियों का मुख्य स्वरूप?

सरकार का प्रस्ताव है कि यदि किसी विदेशी देश में किसी रसायन को अनुमति दी गई है, तो उसे ब्रिटेन में भी बिना विस्तृत परीक्षण के प्रयोग में लाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में कोई स्पष्ट निर्देश या मानक नहीं दिए गए हैं कि किन देशों को ‘विश्वसनीय’ माना जाएगा या किन मानकों पर खरा उतरना जरूरी है।
यह कदम उस डर का भी संकेत है कि घरेलू जाँच प्रक्रियाओं को खत्म कर दिया जाएगा, और कंपनियों के हितों को प्राथमिकता दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, यदि अमेरिका, थाईलैंड या होंडुरास जैसे देशों में किसी रसायन को मंजूरी मिली है, तो ब्रिटेन में भी उसकी स्वीकृति आसान हो जाएगी।

खतरनाक दिशानिर्देश और पर्यावरणीय जोखिम

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की deregulation से, ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाले रसायनों का नियंत्रण कमजोर हो सकता है। विश्वसनीयता का मानक भी अस्पष्ट कर दिया गया है, और सरकार को स्वतंत्र रूप से विदेशी देशों से डेटा लेने की छूट दी गई है।
विशेष रूप से, कई खतरनाक रसायन, जैसे कि Pfas (forever chemicals), माइक्रोप्लास्टिक्स और अन्य बायोसाइड्स, पहले ही हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में फैल चुके हैं। इनका नियामक नियंत्रण न होने पर, ये पदार्थ हमारे मिट्टी, पानी और जानवरों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे भविष्य में अपरिहार्य स्वास्थ्य संकट तेज हो सकता है।

सरकार का तर्क और जनता की प्रतिक्रिया

सरकार का तर्क है कि यह कदम लागत कम करने और उद्योगों को सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यक है। लेकिन अनेक विशेषज्ञ और पर्यावरण संरक्षण संगठन इसे एक जोखिम भरा कदम मानते हैं।
सरकार का यह कदम, यूरोपीय संघ के नियमों से मेल खाने का विकल्प छोड़ कर, नियमों को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल पर्यावरणीय संकट बढ़ने का खतरा है, बल्कि यूरोपीय संघ के साथ व्यापारिक समझौतों का उल्लंघन भी हो सकता है।
कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि स्थायी व स्थिर नियम बनाए रखना ही बेहतर विकल्प है, ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों की रक्षा हो सके।

सरकार की योजना और समाज का मसला

इस प्रस्ताव में यह भी सुझाव दिया गया है कि, एक बार यदि किसी विदेशी देश में किसी रसायन को अनुमति मिली है, तो उसकी वैधता अमर मान ली जाएगी। यानी, इन रसायनों की स्वीकृति को अस्थायी या समीक्षा योग्य नहीं माना जाएगा।
यह कदम जनता में चिंता का विषय है, क्योंकि इससे हम अप्रिय संक्रमणों और विषाक्त पदार्थों से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
इस मुद्दे पर राष्ट्र के विभिन्न पर्यावरणीय संगठन, वैज्ञानिक और नागरिक समूह सरकार से जवाब माँग रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है, लेकिन जनता को इसकी कीमत भी तो हर कीमत पर समझनी होगी।

क्या है इस विवाद का भविष्य?

यह नीतिगत बदलाव, यदि लागू हो जाता है, तो ब्रिटेन के पर्यावरणीय मानकों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें विदेशी कंपनियों के हितों को संरक्षण दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी इस बदलाव का प्रभाव देखा जा सकता है, क्योंकि इसे यूरोपीय संघ के नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है।
इस पूरे विषय पर विभिन्न महिला-पुरुष विचारक, वैज्ञानिक और नागरिक समूह अपनी राय साझा कर रहे हैं। नतीजा यह होगा कि आने वाले समय में, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों को खतरा बढ़ सकता है।

सारांश और निष्कर्ष

ब्रिटेन की यह नई नीति, जहां लागत घटाने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह मानव और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा भी साबित हो सकती है। इस कदम का उद्देश्य है विदेशी रसायनों को बिना पूरा जाँच किए अनुमति देना, जो कि काफी जोखिम से भरा है।
अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि नियमों का कमजोर होना, दीर्घकालिक स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, जनता और सरकार दोनों को ही जिम्मेदारी से इस विषय का सामना करना चाहिए।
यह समय है, जब हम अपने पर्यावरण और जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए सतर्कता और जागरूकता का परिचय दें।
अधिक जानकारी के लिए, आप भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय या विकिपीडिया जैसी विश्वसनीय स्रोतों का संदर्भ ले सकते हैं।

इस विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करें और अपने विचार साझा करें।

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