पूर्व बिहार मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने भूमि-कार्यस्थल घोटाले के मामले में अपनी ट्रायल स्थगित करने की याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस मामला की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरश की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा 18 जुलाई को तय की गई थी। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मई में लालू प्रसाद की ट्रायल स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी, हालांकि इसने केंद्रीय जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया था और 12 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई तय की थी।
यह मामला भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में 2004 से 2009 के बीच, जब लालू प्रसाद रेलवे मंत्री थे, उस दौरान तत्कालीन ग्रुप D पदों की भर्ती से जुड़ा है। आरोप है कि इन नियुक्तियों के बदले में भूमि के टुकड़े, जो उनके परिवार या सहयोगियों के नाम पर दान या हस्तांतरण किए गए थे, प्राप्त किए गए। यह मामला 18 मई 2022 को दर्ज किया गया था, जिसमें लालू प्रसाद, उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। लालू का तर्क है कि इस FIR को 14 वर्षों की देरी के बाद दर्ज किया गया, जबकि प्रारंभिक जांच-पड़ताल के बाद मुकदमा बंद करने की रिपोर्ट भी दाखिल की गई थी।
यह मामला बिहार की राजनीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियानों के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां लालू प्रसाद जैसे बड़े नेता पर आरोप लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देश की राजनीति पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
प्रकाशित – 17 जुलाई 2025, 05:01 बजे IST
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