प्रस्तावना: क्यों जरूरी है टर्म इंश्योरेंस की समझ?
आज का बदलता दौर वित्तीय सुरक्षा का महत्व बता रहा है। भारत में लाखों लोग अभी भी अपने जीवन के अनमोल प्राणों को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त बीमाकरण नहीं कर पा रहे हैं। जबकि दुनिया के कई विकसित देशों में, टर्म इंश्योरेंस को न केवल एक वित्तीय उपकरण माना जाता है, बल्कि यह परिवारों की जीवनशैली और मान्यताओं का अभिन्न हिस्सा है।
यह लेख भारत में टर्म इंश्योरेंस की स्थिति, इसकी अहमियत और दूसरे देशों से सीखने के तरीके पर केंद्रित है। साथ ही, यह समझने की कोशिश करेगा कि कैसे भारत में इस दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं ताकि लाखों परिवार आर्थिक संकट से बच सकें।
भारत की वर्तमान स्थिति: क्यों है यह जरूरी?
मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में केवल 3-4% परिवार ही टर्म इंश्योरेंस का लाभ उठा रहे हैं। इसका मुख्य कारण जागरूकता का अभाव, महंगे प्रीमियम और बीमाकृत करने में परिजन की असमझ है। भारतीय बीमा उद्योग में भी इस कमी का संकेत मिलता है।
वहीं, भारत में हर साल हजारों परिवार उस वक्त आर्थिक संकट में आ जाते हैं जब घर का मुखिया अचानक दुनिया छोड़ जाते हैं। ऐसे में, उनकी आर्थिक कमजोरियों को देखते हुए, टर्म इंश्योरेंस जैसे उपकरण की अहमियत और बढ़ जाती है।
दूसरे देशों से सीखें: कहां हैं सफलताएं?
सिंगापुर — प्रशासकीय दक्षता और वित्तीय सुरक्षा का मेल
सिंगापुर में जीवन बीमा का बाजार काफी मजबूत है। वहां, 2023 तक लगभग 72% बीमा प्रीमियम जीवन बीमा पर केंद्रित है। सरकार की योजनाओं के साथ ही, नागरिक अपने भविष्य के लिए मजबूत बीमाकवर लेते हैं। उदाहरण के तौर पर, वहाँ औसत जीवन बीमा कवरेज करीब S$331,200 है। इसके कारण, जब कोई आकस्मिक विपदा आती है, तो परिवार आर्थिक संकट से बच जाता है।
दक्षिण कोरिया — वेलफेयर सिस्टम के बावजूद, बीमाकरण अनिवार्य
दक्षिण कोरिया में 85% से अधिक घर सामान्य जीवन बीमा से कवर हैं। यहाँ, कोरोना महामारी ने दिखाया कि निजी बीमाकरण कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सरकार ने तोषपूर्ण कदम उठाए, परंतु बीमा कंपनियों ने भी, बीमारियों और आय की सुरक्षा में महत्वूपर्ण योगदान दिया।
जापान — विश्व का नंबर 3 बीमाकवर
जापान की बात करें, तो यहाँ सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाएं और पेंशन व्यवस्था के साथ ही, लोगों का बीमा में विश्वास बहुत मजबूत है। 90% से अधिक घरों में कम से कम एक जीवन बीमा नीति है। इससे पता चलता है कि सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर, परिवारों को मजबूत सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
भारत में कैसे बढ़ें जागरूकता और बीमाकवर?
- जानकारी फैलाना: सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान मिलकर जागरूकता अभियान चलाएं। सोशल मीडिया, टीवी और स्कूलों के माध्यम से जानकारी पहुंचाना जरूरी है।
- सस्ती और आसान योजनाएं: बीमा कंपनियों को चाहिए कि वे छोटे प्रीमियम पर विस्तार से योजनाएं बनाएं ताकि हर परिवार लाभ ले सके।
- सरकार की भूमिका: सरकार को भी चाहिए कि वे टैक्स छूट जैसी सुविधाएं दें और बीमा को अनिवार्य बनाएं।
आख़िर में: क्यों जरूरी है इस दिशा में कदम?
वर्तमान में, भारत की गरीब और मध्यम वर्गीय आबादी को आर्थिक संकट से बचाने के लिए, टर्म इंश्योरेंस जैसी योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार और प्रोत्साहन आवश्यक है। दूसरे देशों की सफलता से सीखकर, हम भी अपने देश में इस क्षेत्र में सुधार कर सकते हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत परिवारों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता भी मजबूत होगी।
इस विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करें और अपने सुझाव साझा करें।
निष्कर्ष
दुनिया के विकसित देशों में, टर्म इंश्योरेंस को न केवल एक आर्थिक सुरक्षा का साधन माना जाता है, बल्कि यह सामाजिक जागरूकता का भी प्रतीक है। भारत को भी अपने सामाजिक ढांचे में इस बात को शामिल करना चाहिए कि हर परिवार को वित्तीय सुरक्षा मिल सके। इसके लिए कदम बढ़ाना जरूरी है, ताकि हम आपदा के समय अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित कर सकें।
अधिक जानकारी के लिए RBI की वेबसाइट और पीआईबी खबरें देख सकते हैं। साथ ही, ट्विटर पर अधिकारी अपडेट भी फॉलो करें।