भारत ने रूस से तेल आयात पर लगने वाले प्रतिबंधों को लेकर दोहरे मानकों के खिलाफ चिंता व्यक्त की है। अमेरिका में हाल ही में पारित होने वाली विधायिका, जिसमें रूस के तेल पर 500% कर लगाने का प्रस्ताव है, पर भारत ने सावधानी बरतने का आग्रह किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और बाजार में उपलब्ध विकल्पों का उपयोग कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूरोपीय संघ के सदस्य अभी भी रूस से तेल, LNG और गैस पाइपलाइन के माध्यम से उत्पाद खरीद रहे हैं, जबकि भारत ने अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण किया है। रूस का करीब आधा तेल चीन को जाता है और लगभग 38% भारत को, जबकि यूरोपीय संघ को केवल 6%। इस बीच, दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार है और उसने अपने आपूर्तिकर्ताओं को विविध किया है। अमेरिकी कांग्रेस में रूस के खिलाफ नई विधायिका, रूस-यूक्रेन संकट को और जटिल बना रही है। इस विधायिका के तहत, जो दोनों पक्षों के सांसदों का समर्थन प्राप्त कर रही है, रूस से तेल, गैस, और अन्य उत्पादों की खरीद पर व्यापक कर लगाने का प्रावधान है। इस मुद्दे पर भारत ने वाशिंगटन को स्पष्ट किया है कि हम अपने हितों और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कदम उठा रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जुलाई में अमेरिकी सांसदों को भारत की चिंताओं से अवगत कराया था। इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता जल्द ही पूरा होने की संभावना है, जिसमें कई जटिलताएँ मौजूद हैं। साथ ही, भारत ने अपने प्रवासियों की वापसी प्रक्रिया को भी तेज किया है, जिसमें पिछले छह महीनों में 1,563 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है। यह कदम उस विवाद के बीच आया है जिसमें अमेरिकी अधिकारियों ने भारतीयों को हाइटेक और हथकड़ी लगाकर भेजने की घटना के बाद भारत ने अपनी नाराजगी जताई थी। भारत का मानना है कि ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। इस स्थिति का प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर रहेगा, और आने वाले समय में इन मुद्दों का समाधान खोजने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत ने रूसी तेल पर प्रतिबंधों में दोहरे मानकों से किया सावधान, अमेरिका की नई विधायिका पर चिंता जताई
