भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को जावेलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों (ATGMs) के देश में सह-निर्माण के लिए अनुरोध पत्र प्रस्तुत किया है। एक शीर्ष रक्षा सूत्र ने पुष्टि की है कि भारत ने इस प्रस्ताव को अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष रखा है। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है और भारतीय रक्षा क्षमताओं को स्वदेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
रक्षा सूत्र के अनुसार, “यह परिचालन तत्परता सुनिश्चित करेगा और विदेशी सहायता पर निर्भरता को कम करेगा। बातचीत अभी प्रगति के अंतिम चरण में है।” जावेलिन मिसाइल दुनिया की सबसे उन्नत तीसरी पीढ़ी की एटीजीएम में से एक है।
वर्तमान में, भारत की सेना नई हथियार प्रणालियों को जोड़ने और पुरानी मिसाइलों को पुनः भरने की आवश्यकता को देखते हुए अमेरिका के साथ संपर्क में है। विशेष रूप से, आपातकालीन खरीद के तहत जावेलिन मिसाइलों की खरीद की प्रक्रिया चल रही है।
भारत की रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से उभरती खतरों का मुकाबला करने के लिए, जावेलिन मिसाइल प्रणाली भारत की टैंक रोधी युद्ध क्षमता को मजबूत करने का एक मजबूत विकल्प है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये मिसाइलें हल्की होने के कारण कठिन भू-भाग में सेना के जवान आसानी से ले जा सकते हैं, जिससे परिचालन में आसानी रहती है।
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेग्स्थ के साथ टेलीफोन पर चर्चा की, ताकि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने वाली वर्तमान और आगामी पहलों की समीक्षा की जा सके।
जावेलिन मिसाइल का विकास और निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनियों रेथियोन और लॉकहीड मार्टिन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
यह कदम भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को मजबूत बनाने और दोनों देशों के सामरिक हितों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।