भारत की विदेश नीति में बदलाव: कांग्रेस ने गंभीर चिंता व्यक्त की, पुनः मार्गदर्शन की आवश्यकता

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार (17 जुलाई, 2025) को सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भारत की पारंपरिक विदेशी नीति से भटक गई है, बिना संसद की सलाह के इस दिशा में कदम उठा रही है। पार्टी ने कहा कि यह समय है कि भारत अपनी विदेश नीति का पुनर्मूल्यांकन करे, ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण करे और आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन में बदलाव लाए ताकि वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा पुनः स्थापित हो सके।

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने राष्ट्रीय सहमति को कमजोर किया है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति कमजोर हुई है। पार्टी ने दोनों सदनों में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग की है। खासतौर पर, भारत के संयुक्त राष्ट्र में गाजा संघर्ष विराम पर प्रस्ताव पर मतदान से पहले की गई चुप्पी को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया।

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि भारत की विदेश नीति में हो रही यह ‘‘भटकाव’’ गंभीर चिंता का विषय है, जिसने भारत की आवाज को विश्व मंच पर कमजोर कर दिया है। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह अपने विदेश नीति की दिशा को पुनः निर्धारित करे, ईमानदार आत्मनिरीक्षण करे एवं आवश्यकतानुसार सुधार करे।

श्री शर्मा ने कहा कि भारत-यूएस व्यापार समझौता, जिसके वार्ता जारी हैं, को राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर ही सुलझाया जाना चाहिए, न कि दबाव में। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा केवल आर्थिक या सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि उसकी नैतिक प्राधिकरण से भी है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत का विदेश नीति का मकसद हमेशा से ही देश के हितों की रक्षा करना और अपने रणनीतिक साझेदार देशों के साथ विश्व दृष्टिकोण साझा करना रहा है। स्वतंत्रता के बाद से, भारत की विदेश नीति का आधार व्यापक राष्ट्रीय सहमति रहा है, जो अब कमजोर या टूट चुका है।

श्री शर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पारंपरिक रुख से हटकर बिना संसद की सलाह के कई निर्णय लिए हैं, जो भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का सम्मान और प्रभाव केवल नैतिक अधिकार पर आधारित है, और अब समय है कि सरकार भारत की स्थिति को फिर से मजबूत करे और राष्ट्रीय सहमति का निर्माण करे।

उन्होंने विशेष रूप से पड़ोसी नीति पर बल दिया और कहा कि भारत को अपनी क्षेत्रीय शक्ति के रूप में पुनः स्थापित करने के लिए रणनीति में बदलाव करना जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी नीति में किसी भी घरेलू या राजनीतिक एजेंडे को शामिल करना गलत होगा।

अंत में, श्री शर्मा ने कहा कि 12 जून को संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायल के गाजा पर हमले और तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव पर भारत का मौन रहना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई भारत की वैश्विक दक्षिण की नेतृत्व की छवि को कम करती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह अपने पारंपरिक और रणनीतिक साझेदार देशों से बात कर शांति स्थापित करने का प्रयास करे।

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