जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की बड़ी सफलता: अक्षय ऊर्जा का मकाम पांच साल पहले ही हासिल

बदलते विश्व में भारत का पर्यावरणीय प्रयास तेजी से आगे बढ़ रहा है

भारत ने हाल ही में अपने जलवायु लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, जो विश्वभर में पर्यावरण संरक्षण में उसकी भूमिका को मजबूत करता है। देश ने 2016 में पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करते हुए, आधे बिजली उत्पादन का लक्ष्य हरित ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली है। यह उपलब्धि, पाँच साल पहले ही निर्धारित समय से पूर्व प्राप्त हुई है, जो भारत की ऊर्जा नीति और निवेश के तेजी से हुए परिवर्तनों का परिणाम है।

पेरिस समझौता और भारत की प्रतिबद्धता

2016 में संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में हुए पेरिस समझौते में लगभग 200 देशों ने अपने-अपने उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए थे। भारत ने भी अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वाकांक्षी कदम उठाए। इन प्रयासों का प्रमुख केंद्र रहा है – ऊर्जा क्षेत्र में शोधन, विशेष रूप से सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग।

सौर ऊर्जा में अभूतपूर्व प्रगति और वैश्विक बदलाव

भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सफलता का बड़ा कारण है – विश्वव्यापी सौर पैनल की कीमतों में भारी गिरावट। पिछले दस वर्षों में, वैश्विक स्तर पर सौर पैनल की कीमतें करीब 90% तक कम हो गई हैं। इससे सौर ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण सस्ते और आसान हो गया है। इस कारण से, भारत सरकार और निजी निवेशक अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में अत्यधिक रुचि ले रहे हैं।

राज्य के स्तर पर भी, विशेष रूप से सरकार द्वारा समर्थित नीतियों और सब्सिडियों ने, सौर ऊर्जा को ज्यादा सुलभ और किफायती बनाया है। इस सफलता का ही परिणाम है कि जब भी सूर्य की किरणें चमकती हैं, तो हमारे पास अतिरिक्त बिजली मौजूद होती है।

बिजली उत्पादन में बदलाव और चुनौतियाँ

हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। वर्तमान में, बिजली की आपूर्ति में वृद्धि के बावजूद, कभी-कभी आपूर्ति में कमी देखी जाती है। इसका कारण है, फॉसिल फ्यूल से बनी बिजली पर अभी भी निर्भरता, खासकर जब मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं रहती। हवा और सूरज की शक्ति से बिजली बनाने में अस्थिरता देखी जा रही है, जो कि ऊर्जा क्षेत्र का एक बड़ा मुद्दा है।

मूडने से, भंडारण वाली ऊर्जा प्रणालियों जैसे कि बैटरी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। अब बैटरियाँ भी सस्ती हो रही हैं और बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार हैं। इससे, शॉर्ट-टर्म में ऊर्जा की आवश्यकता पूरी करने की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।

रूफटॉप सौर ऊर्जा का बढ़ावा

भारत में घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। विशेष रूप से, रूफटॉप सौर पैनल (RTS) कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे, न केवल बिजली की लागत में कमी आती है बल्कि ट्रांसमिशन लाइन पर भी दबाव कम होता है। लेकिन, इस क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

वर्तमान में, कुल सौर ऊर्जा क्षमता का केवल 16% ही रूफटॉप सौर ऊर्जा के रूप में स्थापित है। यही वजह है कि सरकार और ऊर्जा कंपनियों को इसे बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अधिक भागीदार बन सकें। परन्तु, कुछ बड़ी ऊर्जा कंपनियों को डर है कि इससे उनके ग्राहकों का हिस्सा घट सकता है, जिससे उनके राजस्व पर असर हो सकता है।

आगे की राह और सरकार की योजना

  • नीति सुधार: सरकार को रूफटॉप सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए आसान कानून और सब्सिडी योजनाओं को लागू करना चाहिए।
  • फंडिंग और निवेश: निजी और सरकारी दोनों स्रोतों से संसाधन जुटाने की आवश्यकता है ताकि बड़ा पैमाना तय किया जा सके।
  • बड़ी कंपनियों का सहयोग: ऊर्जा कंपनियों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने नेटवर्क में अधिक हरित ऊर्जा शामिल करें।

निष्कर्ष और भविष्य के संकेत

भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से प्रगति की है, जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। अक्षय ऊर्जा में हुई इस सफलता से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि नई नौकरियों और आर्थिक विकास के भी अवसर पैदा होंगे। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जिनका सामना करने के लिए निरंतर प्रयास और नीतिगत सुधार आवश्यक हैं।

यह सफलता इस बात का संकेत है कि जब सरकार, उद्योग और जनता मिलकर काम करते हैं, तो बड़े लक्ष्य भी संभव हो सकते हैं। इससे यह भी साबित होता है कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण, दोनों ही साथ-साथ चल सकते हैं। यदि हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे, तो भारत साफ-सुथری और हरित ऊर्जा से भरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है।

इस विषय पर आपकी क्या राय है? अपने विचार नीचे कमेंट करें या अधिक जानकारी के लिए भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। आप भी अपने घर में सौर ऊर्जा का चयन कर, इस मिशन में भाग ले सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *