
शांतनु मित्रा, भारत के माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में एक ऐसा नाम हैं जो क्षेत्र के भीतर भले ही जाना जाता हो, लेकिन पब्लिक डोमेन में बहुत कम दिखते हैं। फिर भी उन्होंने जिस संस्था को खड़ा किया और बढ़ाया, उसकी आज की स्थिति देश के सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस संगठनों में होती है। वह संस्था है – CreditAccess Grameen।
शांतनु मित्रा का करियर कॉर्पोरेट बैंकिंग से शुरू हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और IIM अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1985 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में काम शुरू किया। वहां करीब दो दशकों तक रिटेल बैंकिंग, स्ट्रैटेजी और रिस्क जैसे विभागों में उन्होंने काम किया। इसके बाद वे Fullerton India के CEO बने, जो एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है। Fullerton में उनका फोकस फाइनेंशियल इनक्लूज़न पर था — खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में कर्ज़ पहुंचाना।
2019 में वे CreditAccess Grameen के CEO बने। यह एक माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन है जो मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं को छोटे ऋण देता है, जिससे वे घरेलू व्यवसाय या आजीविका से जुड़ी गतिविधियाँ शुरू कर सकें। जब मित्रा ने जिम्मेदारी संभाली, उस समय संस्था पहले से स्थापित थी, लेकिन उनके कार्यकाल में इसका विस्तार काफी तेज़ हुआ।
2023 के आंकड़ों के अनुसार, CreditAccess Grameen की लोन बुक ₹18,000 करोड़ से अधिक हो चुकी है। संस्था के 40 लाख से ज्यादा सक्रिय ग्राहक हैं, जिनमें लगभग सभी महिलाएं हैं। कंपनी की उपस्थिति 14 राज्यों में है और 3,500 से ज्यादा शाखाएँ कार्यरत हैं।
महामारी के दौरान अधिकांश माइक्रोफाइनेंस संस्थाएं डिफॉल्ट और ऑपरेशनल चुनौती से जूझ रही थीं। CreditAccess Grameen भी इससे अछूता नहीं रहा, लेकिन इसके बावजूद कंपनी की कलेक्शन एफिशिएंसी 98% के करीब बनी रही। यह ऐसे समय में हुआ जब अधिकांश कंपनियां 85–90% पर संघर्ष कर रही थीं। इसका श्रेय संस्था के डिजिटाइजेशन, क्षेत्रीय समझ और रिस्क मैनेजमेंट प्रक्रियाओं को दिया जा सकता है।
मित्रा के नेतृत्व में संस्था ने फील्ड ऐप्स, क्लाउड-बेस्ड डेटा प्लेटफॉर्म और ग्राहक सेवा प्रक्रियाओं को अपडेट किया। इन सबका उद्देश्य था — शाखा-स्तर के कर्मचारियों के लिए लोन प्रोसेसिंग को तेज़ और सटीक बनाना, और ग्राहक के लिए अनुभव को बेहतर करना। डिजिटल हस्ताक्षर, पेमेंट गेटवे इंटीग्रेशन और पेपरलेस डॉक्यूमेंटेशन जैसी प्रक्रियाएं भी इसी दौरान लागू हुईं।
कंपनी के मॉडल में समूह आधारित लोन प्रणाली लागू है — जहाँ 5–10 महिलाओं के समूह को एकसाथ ऋण दिया जाता है और आपसी ज़िम्मेदारी के आधार पर वसूली की जाती है। यह मॉडल भारत में दशकों से लागू है, लेकिन CreditAccess Grameen ने इसे अधिक संरचित और स्केलेबल तरीके से लागू किया। ग्राहक पात्रता, वेरिफिकेशन, और भुगतान ट्रैकिंग में डेटा का अच्छा उपयोग संस्था की कार्यप्रणाली की एक प्रमुख विशेषता बन गई है।
माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री में NPA (non-performing assets) को कम रखना मुश्किल होता है, खासकर ऐसे समय में जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था अस्थिर हो या सरकारें ऋण माफी की घोषणाएं करें। CreditAccess Grameen की स्थिरता का एक बड़ा कारण इसके कर्ज़ वितरण के पहले की जांच प्रक्रिया है — जिसमें यह देखा जाता है कि ग्राहक के पास कोई और लोन तो नहीं है, उसकी ऋण चुकाने की क्षमता क्या है, और उसके समूह में सामाजिक उत्तरदायित्व की स्थिति कैसी है।
शांतनु मित्रा पब्लिक प्रोफाइल में बहुत कम नज़र आते हैं। वे इंडस्ट्री पैनल्स या मीडिया इंटरव्यू में अक्सर शामिल नहीं होते, लेकिन उनके निर्णय संस्थागत दृष्टिकोण से स्पष्ट होते हैं। वे हर बड़े फैसले को टॉप-डाउन के बजाय डेटा और फील्ड फीडबैक पर आधारित बनाते हैं। कंपनी की सालाना रिपोर्ट्स में भी देखा जा सकता है कि संस्था केवल फाइनेंशियल परफॉर्मेंस नहीं, बल्कि सामाजिक प्रभाव को भी मापती है — जैसे कि लोन लेने के बाद परिवार की आय में वृद्धि, बच्चों की शिक्षा, या महिला की आर्थिक स्वतंत्रता का स्तर।
उन्होंने निवेशकों को भी यह भरोसा दिलाया कि माइक्रोफाइनेंस, केवल CSR या ‘सपोर्ट’ आधारित क्षेत्र नहीं, बल्कि एक स्थायी, लाभदायक और सामाजिक रूप से असरदार बिजनेस मॉडल हो सकता है। यही कारण है कि CreditAccess Grameen को डच कंपनी CreditAccess Asia समेत कई विदेशी निवेशकों से फंडिंग मिलती रही है।
2023–24 में कंपनी का रेवेन्यू ₹4,500 करोड़ से ऊपर गया और लाभ ₹650 करोड़ के आसपास रहा। इसका IPO 2018 में आया था और लिस्टिंग के बाद कंपनी ने स्थिरता बनाए रखी है। FY24 में कंपनी ने लगभग 30% सालाना ग्रोथ दर्ज की, जो कि सेक्टर की औसत ग्रोथ से ऊपर रही।
शांतनु मित्रा का कार्यकाल केवल संख्या में नहीं, बल्कि संरचनात्मक दृष्टिकोण से भी संस्था को स्थायित्व देने वाला रहा है। उन्होंने केवल विस्तार नहीं किया, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिस्क कंट्रोल को मज़बूत किया। संस्था के टॉप मैनेजमेंट में नेतृत्व परिवर्तन को भी सुचारू रूप से मैनेज किया गया है, जिससे यह स्पष्ट है कि संस्था व्यक्ति आधारित नहीं बल्कि सिस्टम आधारित तरीके से आगे बढ़ रही है।
यदि शोर-शराबे और पब्लिसिटी को हटाकर केवल संस्था के प्रदर्शन को देखा जाए, तो यह स्पष्ट है कि शांतनु मित्रा का नेतृत्व CreditAccess Grameen के लिए निर्णायक रहा है। भारत के माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में जहाँ कई संस्थाएं राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के कारण असफल हुईं, वहीं यह संस्था पिछले चार वर्षों में लगातार ग्रोथ और स्थिरता बनाए रखने में सफल रही है।
मित्रा की पहचान एक ऐसे नेतृत्वकर्ता के रूप में बनी है जो प्रोसेस, डेटा और फील्ड इंटेलिजेंस को प्राथमिकता देते हैं। बिना शोर, बिना व्यक्तिगत प्रचार, वे अपने क्षेत्र में एक व्यावसायिक मॉडल को टिकाऊ बनाए रखने में सफल हुए हैं — वह भी एक ऐसे क्षेत्र में जहाँ सामाजिक उद्देश्य और वित्तीय दबावों का संतुलन बनाना सबसे कठिन होता है।