पिछले सप्ताह हुए एयर इंडिया विमान दुर्घटना ने पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ा दी है।
अहमदाबाद में हुए इस विमान हादसे के बाद से, अनेक यात्री और अनुभवी फ्लाइट यात्री अपने उड़ानों को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना ने न सिर्फ सामान्य यात्रियों में बल्कि अनुभवी ट्रैवलर्स में भी उड़ान के प्रति भय पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से इस दुर्घटना की खबर तेज़ी से फैली और इससे जुड़े वीडियो एवं पोस्ट मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल रहे हैं।
क्यों बढ़ रहा है उड़ान का डर? मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
मनोचिकित्सक एवं मनोविशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की दुर्घटना के बाद लोग अनजाने भय के शिकार हो जाते हैं। डॉक्टर पंकज चौहान कहते हैं, “यह प्राकृतिक प्रतिक्रिया है कि किसी भी बड़े हादसे के बाद लोगों में आशंका और डर बढ़ जाता है। खासतौर पर वे लोग जो पहले से ही यात्रा के दौरान चिंतित रहते हैं, उनके लिए यह स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो जाती है।” विशेषज्ञों का सुझाव है कि सोशल मीडिया पर फैली गलत सूचनाएं और वीडियो भय को और बढ़ावा दे रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव और आंकड़ों का विश्लेषण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण और मनोवैज्ञानिक अध्ययन दर्शाते हैं कि पिछले महीने से ही उड़ान से संबंधित चिंता में 25% की बढ़ोतरी देखी गई है। विशेष रूप से 35 से 50 वर्ष की आयु के लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। यह संकेत है कि यात्रा का अनुभव या पहले का अनुभव इस चिंता को कम कर सकता है, लेकिन घटना के बाद की मनोदशा बदलने लगी है।
कैसे संभालें उड़ान का डर? विशेषज्ञों के सुझाव
मनोवैज्ञानिक सलाह देते हैं कि ऐसे समय में सही जानकारी और स्वयं को शांत रखने वाले उपाय जरूरी हैं। कुछ अहम सुझाव इस प्रकार हैं:
- सांस लेने का व्यायाम करें: गहरी और धीमी सांस से मन शांत होता है।
- सकारात्मक कल्पना करें: उड़ान के दौरान सुखद अनुभव और सुरक्षित यात्रा की कल्पना मन को स्थिर कर सकती है।
- मेडिकेशन या काउंसलिंग: अगर डर गंभीर हो तो डॉक्टर से संपर्क कर आवश्यक दवाएँ या मनोचिकित्सा प्राप्त करें।
- सामाजिक समर्थन: परिवार या मित्रों से बात करें। इससे मन हल्का होता है।
- फ्लाइट सिमुलेटर या प्रशिक्षण केंद्र: कुछ विशेष केंद्र उड़ान का अनुभव कराते हैं, जिससे भरोसा बढ़ता है।
सामाजिक मीडिया का प्रभाव और सावधानियां
सोशल मीडिया पर अक्सर दुर्घटना की वीडियो और दुर्घटना से जुड़े गलत प्रभावदायक पोस्ट देखने को मिलते हैं। यह भी चेतावनी दी जाती है कि गलत सूचना मनोवैज्ञानिक असर डाल सकती है। इसलिए, विश्वसनीय स्रोतों से ही अपडेट लें और नकारात्मक खबरों से दूरी बनाना बेहतर रहता है।
सामाजिक और स्वास्थ्य जागरूकता की भूमिका
सरकार और स्वास्थ्य संस्थान भी इस विषय में जागरुकता अभियान चला रहे हैं। सरकार ने हेल्पलाइन नंबर और काउंसलिंग सेंटर भी स्थापित किए हैं, जहां पीड़ित यात्री संपर्क कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा है कि इस तरह की घटनाएं तनाव का कारण बन सकती हैं, लेकिन सही उपचार और जागरूकता से मनोवैज्ञानिक लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रभावशाली उदाहरण और लोगों की कहानियां
कई यात्रियों ने बताया कि दुर्घटना के बाद उन्हें घबराहट और अनजाना भय महसूस हुआ। एक व्यावसायिक व्यक्ति ने कहा, “मैंने पहले कभी उड़ान का डर नहीं महसूस किया था, लेकिन इस हादसे के बाद मेरा विश्वास डगमगा गया है।” वहीं, कई लोगों ने एयरपोर्ट पर ही कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह ली है और अपने अनुभव साझा किए हैं। इन कथाओं से पता चलता है कि सही सहारा और जागरूकता से इस भय को कम किया जा सकता है।
भविष्य का रास्ता: सुरक्षा, जागरूकता और मनोवैज्ञानिक सहारा
आम नागरिकों और यात्रा उद्योग दोनों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे इस स्थिति में जागरूकता और सावधानी अपनाएं। सुरक्षा उपायों का पालन, सही जानकारी का प्रचार और मनोवैज्ञानिक सहायता का विस्तार इस दिशा में अहम कदम हैं। सरकार और निजी संस्थान मिलकर अब उड़ान से संबंधित भय को दूर करने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं। इसके साथ ही, यात्रियों को अपने आप में आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय भी सीखने चाहिए।
निष्कर्ष
अहमदाबाद के इस दुर्घटना ने देश में उड़ान के प्रति भरोसा कम कर दिया है, लेकिन सही जानकारी और जागरूकता से इस भय का सामना किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि संकट के समय सही समर्थन और विज्ञान आधारित उपाय न केवल मन को शांत कर सकते हैं, बल्कि यात्रा के अनुभव को भी आसान बना सकते हैं। यदि आप भी उड़ान का भय महसूस कर रहे हैं, तो बिना हिचकिचाहट विशेषज्ञ की मदद लें।
अधिक जानकारी के लिए आप PIB India और WHO की वेबसाइट देख सकते हैं। इस तरह के विषय पर आपकी क्या राय है? नीचे टिप्पणी में जरूर बताइए।