प्रस्तावना: एक नई भयावह सचाई का खुलासा
हाल ही में इंटरनेट पर एक लीक हुए दस्तावेज़ ने AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की ट्रेनिंग प्रक्रिया में मानव श्रम से जुड़ी जटिल और विवादास्पद पहलुओं को उजागर किया है। यह दस्तावेज़, जो एक बड़ी डेटा लेबलिंग कंपनी Surge AI से संबंधित था, उनके सुरक्षा दिशानिर्देशों का एक संग्रह है। इसमें बताया गया है कि कैसे दुनिया के कई देशों से कामगार, विशेषकर भारत, पाकिस्तान, केन्या और फिलीपींस जैसे देशों से, इस महत्वपूर्ण कड़ी का भाग हैं।
डेटा लेबलिंग का कार्य और इसकी गंभीरता
AI और मशीन लर्निंग मॉडल को सही ढंग से प्रशिक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर डेटा की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया को ही ‘डेटा लेबलिंग’ कहा जाता है, जिसमें लिखित, श्रव्य या दृश्य सामग्री को इस तरह से टैग किया जाता है कि कंप्यूटर को उसे समझने में आसानी हो। उदाहरण के तौर पर, किसी वीडियो में कार का संकेत, किसी टेक्स्ट में निहित भावना या किसी वीडियो क्लिप में हिंसक गतिविधि की पहचान।
इस प्रक्रिया में काम करने वाले मानव श्रमिक अक्सर कम वेतन पर बहुत ज्यादा काम करते हैं। ये लोग अक्सर मानसिक रूप से तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं, क्योंकि उन्हें हिंसक, नफरत फैलाने वाले या अश्लील सामग्री का सामना करना पड़ता है। इन कार्यकर्ताओं का यह भी सामना होता है कि उनसे यह तय करने को कहा जाता है कि किस कंटेंट को सार्वजनिक किया जाए या नहीं।
लीक हुई सुरक्षा गाइडलाइंस और उनका उद्देश्य
लीक दस्तावेज़ में Surge AI की सुरक्षा दिशा-निर्देश शामिल हैं, जो वर्ष 2024 में अद्यतन किए गए थे। इसमें विशेष रूप से जिन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, वे हैं:
- मेडिकल सलाह
- यौन संबंधी सामग्री
- अप्रत्यक्ष भाषण और नफरत फैलाने वाली बातें
- हिंसा और खतरनाक गतिविधियां
इसमें स्पष्ट किया गया है कि कैसे मॉडलों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाए कि वे इन संवेदनशील विषयों पर सही प्रतिक्रिया दें। उदाहरण के तौर पर, एक चैटबोट को कहा गया है कि वह ‘गैरी लोगों के बारे में निबंध लिखने से मना करे,’ जबकि दूसरी ओर, ‘गैरी व्यक्तियों पर मज़ाक’ करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वह अपमानजनक न हो।
मानव श्रम का उपयोग: एक नैतिक और तकनीकी जटिलता
यह दस्तावेज़ दर्शाता है कि कैसे दुनिया के कई गरीब और विकासशील देशों में रह रहे मानव श्रमिकों को इन जटिल नैतिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है। वे कभी-कभी उन विषयों से निपटते हैं जो समाज में विवादास्पद और संवेदनशील हैं, जैसे कि लैंगिकता, जाति या हिंसा। इस स्थिति में, उनकी नैतिक जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानव श्रम का प्रयोग AI की नैतिकता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी प्रक्रिया के साथ अनेक नैतिक प्रश्न भी जुड़े हैं। उदाहरण के तौर पर, इन श्रमिकों की भूमिका केवल संवाद की गुणवत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि वे कई बार विवादास्पद निर्णय भी लेते हैं।
वैश्विक परिणाम और चुनौतियाँ
जैसे-जैसे AI तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसकी नैतिकता और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह तथ्य कि मानव श्रमिकों को अक्सर कम वेतन और गैर-मानवीय काम में लगाया जाता है, सोशल मीडिया और नागरिक अधिकार संगठनों द्वारा आलोचना का विषय बन रहा है।
इस प्रकार की गाइडलाइंस में कुछ अस्पष्टता भी दिखाई देती है। उदाहरण के तौर पर, दस्तावेज़ कहता है कि ‘गैरकानूनी’ गतिविधियों के बारे में जानकारी देना वर्जित है, लेकिन फिर भी मॉडलों को कुछ परिस्थितियों में अपराधी गतिविधियों के सामान्य विवरण देना पड़ता है।
क्या हैं इसके लाभ और नुकसान?
यह प्रक्रिया जहां AI की सुरक्षा और नैतिकता सुनिश्चित करती है, वहीं इसकी आलोचना भी हो रही है। आलोचक कहते हैं कि मानव श्रमिकों का उपयोग उन कमजोर समूहों से किया जाता है, जिन्हें भुगतान भी उचित नहीं मिल रहा है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रशिक्षण प्रक्रिया आवश्यक है, ताकि लाखों उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित और नैतिक AI टूल्स विकसित किए जा सकें। इस तरह के संधि-समझौते और दिशा-निर्देश AI की दुनिया में पारदर्शिता लाने में मदद कर सकते हैं।
आगे की राह: नीति और प्रगति
इस विवादास्पद विषय पर सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थान अभी भी नीति बनाने के प्रयास कर रहे हैं। दुनिया भर में AI क्षेत्र में नैतिक मानकों को स्थापित करने का काम तेज़ हो रहा है। भारत जैसे देश, जहां बड़ी संख्या में डेटा लेबलिंग के काम होते हैं, वहां के नीति निर्माताओं को भी इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए।
आखिरकार, यह स्पष्ट है कि AI का भविष्य मानवता के साथ जुड़ा है। इसकी नैतिकता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने में मानव श्रम और तकनीक का सही संतुलन बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष: एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता
लीक हुए दस्तावेज़ ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि कैसे हम AI की सुरक्षित और नैतिक ट्रेनिंग सुनिश्चित करें। यह जरूरी है कि तकनीकी विकास के साथ-साथ मानवाधिकार और नैतिकता का भी ध्यान रखा जाए। इस दिशा में नीति, व्यवसाय और समाज सभी को मिलकर कदम बढ़ाने होंगे।
आपकी इस विषय पर क्या राय है? नीचे कमेंट करें और इस खबर को अपने दोस्तों के साथ साझा करें।
अधिक जानकारी के लिए आप PIB के ट्विटर पर अधिकारी अपडेट देख सकते हैं।