क्या AI को इंटरनेट की जरूरत नहीं? भारत की सेमीकंडक्टर स्टार्टअप्स के पास है नया जवाब

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर AI का विकास और भारत की नई पहल

आज के युग में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग हर क्षेत्र में हो रहा है। खासकर स्वास्थ्य सेवा, ट्रैफिक निगरानी, और सरकारी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में AI ने क्रांति ला दी है। लेकिन एक बड़ी चुनौती है, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां इंटरनेट की स्थिरता और बिजली की आपूर्ति आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाती। इसी समस्या का हल खोजने के लिए भारत की सेमीकंडक्टर स्टार्टअप्स नई दिशा में काम कर रहे हैं।

क्या है ‘ऑफलाइन AI’ और इसकी जरूरत क्यों है?

आधुनिक AI सिस्टम मुख्य रूप से क्लाउड आधारित होते हैं, यानी डेटा को रिमोट सर्वर पर भेजा जाता है, प्रोसेसिंग की जाती है, और फिर परिणाम वापस प्राप्त होते हैं। लेकिन भारत जैसे देश में, ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट सुविधा अक्सर अस्थिर रहती है, बिजली की आपूर्ति भी अनियमित होती है। इससे AI के उपयोग में देरी होती है और परिणामों का समय पर न मिलना चिकित्सा और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित करता है।

इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय स्टार्टअप्स और तकनीकी संस्थान अब ‘Edge AI’ यानी ‘ऑफलाइन AI’ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसमें AI मॉडल को उपकरणों के अंदर ही इंस्टॉल किया जाता है, जिससे इन उपकरणों को इंटरनेट के बिना ही काम किया जा सकता है। यह कदम न केवल भारत बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

किस तरह काम करता है ‘Edge AI’?

‘Edge AI’ का अर्थ है कि AI मॉडल, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और अन्य जरूरी सॉफ्टवेयर उपकरण सीधे उस हार्डवेयर पर रहते हैं, जो डेटा का संग्रह, विश्लेषण और प्रतिक्रिया कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक X-ray मशीन में AI का एल्गोरिदम स्थापित कर दिया जाता है, जो तुरंत ही मरीज के फेफड़ों की छवि का विश्लेषण कर सकता है। इसमें इंटरनेट की आवश्यकता नहीं होती, और परिणाम कुछ ही सेकंड में मिल जाते हैं।

यह तकनीक खासतौर पर चिकित्सा, सुरक्षा, और परिवहन के क्षेत्रों में लाभकारी है। इससे पहले, इन कार्यों के लिए इंटरनेट या क्लाउड पर निर्भरता होती थी, जिसकी वजह से समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी। अब, भारत जैसे देश में जहां इंटरनेट का कवरेज सीमित है, यह प्रौद्योगिकी बहुत उपयोगी साबित हो रही है।

भारत में ‘ऑफलाइन AI’ का तेजी से विस्तार

आम जनता और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में, भारत के अनेक स्टार्टअप्स और सरकार की पहलें ‘ऑफलाइन AI’ को अपनाने में अग्रसर हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत सरकार का ‘भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन’ इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस मिशन के तहत, स्थानीय स्तर पर उन्नत चिप्स और AI मॉडल विकसित किए जा रहे हैं।

स्मार्ट सिटीज, ट्रैफिक प्रबंधन और सुरक्षा प्रणालियों में भी इन तकनीकों का प्रयोग बढ़ रहा है। जैसे कि, रेल मंत्रालय ने अपने रेलवे स्टेशन और ट्रैक पर AI-आधारित ऑटोमेटेड उपकरण लगाए हैं, जो तुरंत ही खतरे का संकेत दे सकते हैं।

अधिक जानकारियों के लिए आप [RBI](https://rbi.org.in) और [PIB](https://pib.gov.in) की वेबसाइट देख सकते हैं।

उदाहरण और विशेषज्ञों के विचार

भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि ‘Edge AI’ विकास में तेजी लाएगा, खासकर ऐसे इलाकों में जहां इंटरनेट की सीमित पहुंच है। डॉ. रश्मि शर्मा, एक टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ, कहती हैं, “यह प्रौद्योगिकी मानव जीवन को सरल बनाने के साथ ही संस्थागत कार्यकुशलता में भी इजाफा करेगा। हमें यह देखना है कि यह कैसे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना सकता है।”

इसे लेकर कई भारतीय स्टार्टअप्स ने अपने प्रोडक्ट्स में ‘ऑफलाइन AI’ को शामिल किया है। इनमें से कुछ का दावा है कि ये तकनीक उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धा में आगे रखेगी और समय की बर्बादी को कम करेगी।

भविष्य का भारत: ‘ऑफलाइन AI’ का महत्त्व और चुनौतियां

आखिरकार, भारत का भविष्य ‘ऑफलाइन AI’ के बिना संभव नहीं है। यह तकनीक न केवल सेवा के स्तर को बढ़ाएगी बल्कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों को भी डिजिटल युग में लाएगी। हालाँकि, इस तकनीक के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं, जैसे कि मशीनों का लागत, उन्हें बनाए रखने का खर्चा और स्थानीय भाषाओं में AI के बेहतर प्रयोग।

इसके अलावा, सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर इन तकनीकों का सही तरीके से विकास और वितरण सुनिश्चित करना चाहिए। इससे न केवल भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, बल्कि यह देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम होगा।

निष्कर्ष

भारत में ‘ऑफलाइन AI’ का विकास नई तकनीकी संभावनाओं को जन्म दे रहा है। यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा और सेवा प्रदान करने का जरिया बन सकती है। भविष्य में, जब AI बिना इंटरनेट के भी काम कर सकेगा, तो यह दुनिया का एक नया मानदंड स्थापित करेगा। इस नई दिशा में भारतीय स्टार्टअप्स और सरकार की भूमिका अहम है।

क्या आप मानते हैं कि यह तकनीक भारत को डिजिटल क्रांति में नई ऊर्जा दे सकती है? नीचे कमेंट करें और अपने विचार साझा करें।

अधिक जानकारी के लिए, आप [Wikipedia](https://hi.wikipedia.org/wiki/कृत्रिम_बुद्धिमत्ता) और [WHO](https://www.who.int) जैसी विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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