क्या तेजी से बढ़ रही है Fastag की लोकप्रियता? UIDAI CEO का बयान आपके काम का है जानने लायक!

Fastag की स्वीकार्यता क्यों बढ़ रही है? UIDAI CEO का विशेष इंटरव्यू

आधुनिक भारत में डिजिटल भुगतान और स्वचालित टोल कलेक्शन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है Fastag प्रणाली। यह ज्यादातर लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट का आसान, तेज और सुरक्षित तरीका बन गई है। हाल ही में UIDAI के CEO ने एक खास इंटरव्यू में बताया है कि कैसे Fastag ने भारतीय सड़कों पर अपनी जगह बनाई है और अभी आगे इसका क्या भविष्य है।

Fastag क्या है और यह क्यों जरूरी हो गया है?

Fastag एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है, जिसे RFID तकनीक पर आधारित किया गया है। यह सिस्टम रोड पर लगे टोल प्लाजा पर वाहन के पास लगाए गए टैग की मदद से टोल का भुगतान स्वचालित रूप से कर देता है। इससे लंबी लाइनें और वेटिंग टाइम कम हो जाता है। केंद्रीय सरकार और नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इसे अपनाने को प्राथमिकता दी है, ताकि सड़क यात्रा को अधिक सुगम बनाया जा सके।

डिजिटल इंडिया पहल में Fastag का अहम योगदान

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत, सरकार ने Fastag को अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है। इससे न केवल यातायात की रफ्तार बढ़ी है, बल्कि नकद लेनदेन में भी पारदर्शिता आई है। UIDAI CEO का कहना है, “हमारा लक्ष्य है कि देशभर में Fastag का इस्तेमाल हर वाहन के लिए आसान और पहुंच योग्य हो।” उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक लगभग 80% सरकारी और प्राइवेट वाहनों पर Fastag लग चुका है।

Fastag का व्यापक प्रभाव और इसके फायदे

  • समय की बचत: यात्री बिना रुके टोल प्लाजा पार कर सकते हैं।
  • ध्यान केंद्रित ट्रैफिक कंट्रोल: ट्रैफिक जाम की घटनाएं कम हो रही हैं।
  • आसान भुगतान: डिजिटल भुगतान के माध्यम से टोल की फीस तुरंत कट जाती है।
  • प्रदूषण में कमी: वायु और ध्वनि प्रदूषण कम हो रहा है क्योंकि गाड़ियां कम समय रुकी रहती हैं।

आगे का रास्ता: Fastag की स्वीकृति में चुनौतियां और समाधान

यद्यपि Fastag का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, फिर भी कुछ चुनौतियां अभी भी सामने हैं। इनमें मुख्य हैं:

  • अभी भी कई ग्रामीण और पिछड़े इलाके में इसकी पहुंच नहीं है।
  • कुछ वाहन चालक तकनीकी जटिलताओं का सामना कर रहे हैं।
  • सरकार द्वारा इस प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

UIDAI के CEO ने कहा, “हमारी योजना है कि आने वाले वर्षों में Fastag का कवरेज 100% किया जाए। इसके लिए सोशल मीडिया, मोबाइल एप्स और केंद्र सरकार की योजनाओं का पूरा समर्थन लिया जाएगा।”

विशेष रिपोर्ट: Fastag के चुनौतीपूर्ण पहलू और जनता का रुख

हालांकि सरकार और UIDAI का प्रयास तेज हैं, परन्तु जनता में जागरूकता और जानकारी का अभाव भी एक बड़ी बाधा है। बहुत से लोगों को अभी तक Fastag की पूरी प्रक्रिया का अनुभव नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा और प्रचार-प्रसार के माध्यम से इसे अधिक लोगों तक पहुंचाना जरूरी है। इसके अलावा, मोबाइल ऐप्स और हेल्पलाइन नंबर के जरिए सहायता भी दी जानी चाहिए।

संबंधित आंकड़े और शोध

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 तक देशभर में लगभग 4 करोड़ Fastag लग चुके हैं। सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक यह संख्या 10 करोड़ से अधिक हो जाए। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जिन वाहनों पर Fastag लगा है, उनमें टोल भुगतान में 30% की तेजी और ट्रैफिक जाम में 20% की कमी देखी गई है।

सरकार की योजनाएं और इंटरनेशनल तुलना

भारत में Fastag प्रणाली की शुरूआत 2016-2017 में हुई थी। विकसित देशों जैसे अमेरिका और यूरोपीय देशों में इलेक्ट्रॉनिक टोल सिस्टम पहले से ही लोकप्रिय है। भारत सरकार भी अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए इस प्रणाली को विकसित कर रही है। आने वाले समय में, AI और IoT जैसी तकनीकों के साथ मिलकर Fastag को और भी स्मार्ट बनाने की तैयारी चल रही है।

क्या है भविष्य का अनुमान?

विशेषज्ञों का कहना है कि अगले पांच वर्षों में, Fastag की लोकप्रियता और बढ़ेगी। इससे न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि सरकार की डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन योजनाओं को भी मजबूती मिलेगी। सरकार का लक्ष्य है कि डिजिटल भुगतान का प्रतिशत बढ़ाकर, नकद लेनदेन को कम किया जाए। यह कदम यात्रा को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है।

निष्कर्ष

Fastag प्रणाली ने भारतीय सड़क परिवहन प्रणाली में नई क्रांति ला दी है। यह तकनीक न केवल यात्रा को तेज और आसान बनाती है, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन को भी साकार कर रही है। हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियों का समाधान आवश्यक है, ताकि यह प्रणाली पूरी तरह से देशभर में समान रूप से पहुंचे। सरकार और जनता दोनों का सहयोग जरूरी है, ताकि हम एक विकसित और सुरक्षित भारत की ओर बढ़ सकें।

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स्रोत: PIB India

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