प्रस्तावना
बिहार में महिला सशक्तिकरण के नए आयाम स्थापित होते हुए दिख रहे हैं। हाल ही में आयोजित एक सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के विकास में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व पर जोर दिया। उनका मानना है कि 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना महिलाओं के बलबूते पूरा होगा। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि बिहार जैसे राज्यों में महिलाओं के उत्थान की प्रक्रिया कैसी चल रही है, और इनके द्वारा किए जा रहे प्रगति के कार्यों का समग्र प्रभाव क्या है।
बिहार की महिलाओं ने शुरू किए नए स्टार्टअप्स
डॉ. सिंह ने जानकारी दी कि भारत में अब तक करीब 1.7 लाख स्टार्टअप्स स्थापित हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 76,000 महिलाओं के नेतृत्व में हैं। ये महिलाएँ मुख्यतः Tier 2 और Tier 3 शहरों से हैं, जिन्होंने अपने साहस और Innovation से देश की आर्थिकGrowth में योगदान दिया है। इन स्टार्टअप्स ने अब तक 17 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन किया है, जो महिलाओं की कारोबारी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।
यह संख्या न केवल महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहकर भी महिलाएँ तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वावलंबी बन रही हैं। इस बदलाव को देखकर विशेषज्ञ कहते हैं कि यह ‘साइलेंट रिवोल्यूशन’ है, जो देश के भविष्य को नई दिशा दे रहा है।
सरकार की योजनाएँ और नई पहल
डिजिटल और शिक्षण संसाधनों का विस्तार
डॉ. सिंह ने ‘Jeevika E-Learning Management System’ ऐप का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य महिलाओं के लिए accessible learning opportunities प्रदान करना है। इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर महिलाएँ मोबाइल और कंप्यूटर के माध्यम से नई-नई स्किल्स सीख सकती हैं, जो कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। इसके साथ ही, भारतीय जनमानस में जागरूकता फैलाने के लिए ‘Shashakt Mahila, Samriddh Bihar’ नामक पुस्तक भी जारी की गई, जिसमें बिहार की महिलाओं के योगदान का उल्लेख है।
प्रमुख नीतियाँ और बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘Women-Led Development’ की कल्पना को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने चार मुख्य स्तम्भ तय किए हैं: सुविधा और संस्थागत समावेशन, वैज्ञानिक एवं तकनीकी सशक्तिकरण, आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण, और कार्यस्थल सुधार एवं कानूनी संवेदनशीलता। इन पहलों के तहत महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, और वित्तीय सेवाओं में विशेष लाभ मिल रहा है। जैसे कि, लड़कियों का सीनिक स्कूलों में प्रवेश, सेना में महिलाकर्मी की भूमिका, और भारत की पहली महिला आर्मी Chief की नियुक्ति की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति
विशेष योजनाओं जैसे WISE, GATI, CURIE, और Women Scientist Programme के माध्यम से महिलाओं ने STEM (विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग, और गणित) में अपनी जगह बनाई है। पटना के Women’s College को CURIE स्कीम के तहत अपनाया गया है, जिससे बिहार में महिला नेतृत्व को और बल मिलेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन योजनाओं से न केवल महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि उन्हें ऊँची शिक्षा और करियर के अवसर भी मिलेंगे।
आर्थिक ताकत और सामाजिक परिवर्तन
डॉ. सिंह ने बताया कि देशभर में महिलाओं के लिए 48 करोड़ से अधिक Jan Dhan खाते खोले गए हैं। Mudra Yojana का 60% लाभार्थी महिलाएँ हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तीन करोड़ ‘Lakhpati Didis’ ने स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत महिलाओं के नाम पर घर बनवाने की प्रक्रिया भी तेज हुई है, जिससे न केवल आर्थिक सुरक्षा बढ़ी है बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बदलाव आया है।
कार्यस्थल में भी बदलाव नजर आ रहा है। छह महीने का childcare leave, प्रेग्नेंसी के बाद भी मातृत्व अवकाश, और अविवाहित या तलाकशुदा बेटियों की pension जैसी घोषणाएँ महिलाओं को अधिक सशक्त बना रही हैं। इन कदमों से स्पष्ट है कि सरकार महिलाओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी नीति अपना रही है।
महिला नेतृत्व और भविष्य की ओर कदम
साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी महिलाओं का अधिक से अधिक स्थान बन रहा है। जैसे कि, चंद्रयान-3 की कल्पना करने वाली कल्पना, और आदित्य-1 मिशन की निदेशक निगर शाजी। इन उदाहरणों से पता चलता है कि महिलाएँ अब विज्ञान, तकनीक, और प्रशासन के शीर्ष पदों पर पहुँच रही हैं।
बिहार की ओर देखें तो यहाँ 50% आरक्षण पद्धति से पंचायत, शहरी निकाय, और पुलिस एवं सिविल सेवा में women’s representation बढ़ी है। राज्य में 30 लाख से अधिक महिलाएँ आर्थिक रूप से समर्थ हो चुकी हैं, जिन पर सरकार ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का समर्थन किया है।
डॉ. सिंह ने IIPA से अनुरोध किया है कि बिहार की महिलाओं पर आधारित सफल मॉडल को एक रिप्लिकेटेबल मैनुअल के रूप में विकसित किया जाए, ताकि पूरे देश में इसे अपनाया जा सके। उनका कहना है, “अब बात केवल महिलाओं की भागीदारी की नहीं, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास की है। आने वाला समय महिलाओं का है।”
यह कार्यक्रम अन्य नेताओं और समाज के सभी वर्गों को प्रेरित करता है कि वे भी महिलाओं के सशक्तिकरण में सहयोग करें। इस तरह के प्रयासों से भारत का सामाजिक और आर्थिक विकास नई ऊँचाइयों को छू सकता है।
निष्कर्ष
बिहार और पूरे भारत में महिलाओं का विकास केवल संख्या या आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह समाज की समग्र प्रगति का स्तंभ है। सरकार की योजनाएँ और महिलाओं की मेहनत दोनों ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यदि हम इन सफलताओं को बनाए रखें और नई चुनौतियों का सामना करें, तो 2047 तक भारत एक सशक्त, विकसित राष्ट्र बन सकता है। नई दिशाओं में यह परिवर्तन भारत की नई पहचान स्थापित करेगा।
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