
फुटबॉल की दुनिया में अगर कोई नाम ऐसा है जो हर दिल में बसता है, तो वो है रियल मैड्रिड। भारत में भी, जहाँ क्रिकेट का जुनून सिर चढ़कर बोलता है, रियल मैड्रिड के फैन लाखों की तादाद में हैं। दिल्ली के गलियारों से लेकर मुंबई की चॉल तक, रात के एक बजे लैपटॉप खोलकर लाइव मैच देखने वाले नौजवानों की कमी नहीं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि रियल मैड्रिड बार-बार चैंपियंस लीग क्यों जीतता है? क्या ये सिर्फ़ बड़े खिलाड़ियों की वजह से है, या इसके पीछे कोई गहरी कहानी छुपी है? आज मैं आपको ले चलता हूँ उस अंदर की कहानी पर, जो शायद टीवी स्क्रीन पर दिखाई नहीं देती। ये कहानी है रणनीति की, जुनून की, और उस मेहनत की, जो मैड्रिड के हर कोने में देखी जा सकती है।

पहली बात, रियल मैड्रिड का जादू सिर्फ़ स्टार खिलाड़ियों तक सीमित नहीं है। हाँ, ज़िनेदिन ज़िदान, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, और अब विनिसियस जूनियर जैसे नाम बड़े हैं, लेकिन क्लब की असली ताकत उसकी मैनेजमेंट और स्काउटिंग सिस्टम में है। भारत में हम अक्सर सोचते हैं कि बस पैसा खर्च करो और बड़े खिलाड़ी खरीद लो, जीत पक्की। लेकिन रियल मैड्रिड का तरीका इससे अलग है। वो युवा टैलेंट को खोजते हैं, जैसे कि ब्राज़ील के छोटे-छोटे गाँवों से विनिसियस या रोड्रिगो जैसे खिलाड़ी। इन खिलाड़ियों को क्लब में लाने के लिए स्काउट्स सालों तक काम करते हैं। मिसाल के तौर पर, विनिसियस को 2018 में सिर्फ़ 17 साल की उम्र में ₹3800 करोड़ (लगभग 45 मिलियन यूरो) में साइन किया गया। ये रकम सुनने में बड़ी लगती है, लेकिन भारत में अगर आप एक प्रीमियम फ्लैट खरीदने की सोचें, तो दिल्ली के पॉश इलाकों में इतने में दो-तीन फ्लैट आ जाएँ। रियल मैड्रिड इस निवेश को भविष्य की जीत के लिए करता है।
अब बात करते हैं क्लब की ट्रेनिंग सिस्टम की। रियल मैड्रिड की अकादमी, जिसे ला फाब्रिका कहते हैं, दुनिया की सबसे बेहतरीन फुटबॉल अकादमियों में से एक है। यहाँ से राउल, इकर कैसियास जैसे दिग्गज निकले हैं। भारत में हम कोचिंग सेंटर तो बहुत देखते हैं, लेकिन ला फाब्रिका का स्तर कुछ और है। यहाँ खिलाड़ियों को न सिर्फ़ फुटबॉल सिखाया जाता है, बल्कि उनकी डाइट, मेंटल हेल्थ, और टैक्टिकल समझ पर भी ध्यान दिया जाता है। एक बार मैंने एक यूट्यूब वीडियो में देखा था, जहाँ ला फाब्रिका के कोच बता रहे थे कि वो बच्चों को 12 साल की उम्र से ही प्रेशर हैंडल करना सिखाते हैं।
रणनीति की बात करें तो रियल मैड्रिड का गेम प्लान हर बार अलग होता है। कार्लो एंसेलोटी, जो मौजूदा कोच हैं, उनकी खासियत है कि वो हर खिलाड़ी की ताकत को समझते हैं। 2022 की चैंपियंस लीग फाइनल में लिवरपूल के खिलाफ़ रियल मैड्रिड को कोई चांस नहीं दे रहा था। लेकिन एंसेलोटी ने विनिसियस को लेफ्ट विंग पर आज़ादी दी, और नतीजा? विनिसियस ने विनिंग गोल दागा। भारत में हम अक्सर क्रिकेट में कहते हैं कि कोहली या रोहित को सेट होने दो, फिर गेम पलट जाएगा। रियल मैड्रिड में भी ऐसा ही है, लेकिन यहाँ कोच का दिमाग़ और खिलाड़ी का टैलेंट मिलकर कमाल करता है। एंसेलोटी की कोचिंग का खर्चा भी कम नहीं। उनकी सैलरी लगभग ₹100 करोड़ सालाना है, जो भारत में किसी टॉप क्रिकेट कोच से दोगुनी है। लेकिन ये पैसा क्लब के लिए निवेश है, जो ट्रॉफी के रूप में लौटता है।
अब एक और ज़रूरी बात – फैन बेस। रियल मैड्रिड के फैन सिर्फ़ स्पेन में नहीं, पूरी दुनिया में फैले हैं। भारत में भी, चाहे वो कोलकाता का कोई कॉलेज स्टूडेंट हो या चेन्नई का कोई आईटी प्रोफेशनल, रियल मैड्रिड की जर्सी पहनकर लोग गर्व महसूस करते हैं। मैंने पिछले साल दिल्ली के एक स्पोर्ट्स स्टोर में देखा, रियल मैड्रिड की ओरिजिनल जर्सी ₹8000 से ₹12000 तक थी। फिर भी, लोग बिना झिझक खरीद रहे थे। ये फैन बेस क्लब को आर्थिक ताकत देता है। 2023-24 सीज़न में रियल मैड्रिड की टोटल रेवेन्यू ₹7000 करोड़ (लगभग 831 मिलियन यूरो) थी, जिसमें से 30% सिर्फ़ मर्चेंडाइज़ और टिकट सेल्स से आया। भारत में अगर आप एक IPL मैच का टिकट खरीदने की सोचें, तो ₹2000 से ₹5000 तक खर्चा हो जाता है। अब सोचिए, रियल मैड्रिड के हर होम मैच में 80,000 फैन सैंटियागो बर्नब्यू स्टेडियम में आते हैं, और औसत टिकट की कीमत ₹5000 के आसपास है। ये पैसा क्लब को और मज़बूत करता है।
लेकिन क्या सिर्फ़ पैसा और टैलेंट ही रियल मैड्रिड को जीत दिलाता है? नहीं, इसके पीछे एक मानसिकता है। रियल मैड्रिड में हार मानना कोई ऑप्शन नहीं। 2018 की चैंपियंस लीग में जब रियल मैड्रिड ने लगातार तीसरी बार ट्रॉफी जीती, तब ज़िदान ने कहा था, “हम हारने के लिए नहीं खेलते, हम इतिहास बनाने के लिए खेलते हैं।” ये सोच हर खिलाड़ी में डाली जाती है। भारत में हम अक्सर सुनते हैं कि मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। रियल मैड्रिड उसी का ज़िंदा सबूत है। उनके खिलाड़ी मैदान पर आखिरी मिनट तक लड़ते हैं। 2022 में पेरिस सेंट जर्मेन के खिलाफ़ क्वार्टर फाइनल में रियल 2-0 से पीछे था, लेकिन बेंज़ेमा ने हैट्रिक मारकर गेम पलट दिया। ये जुनून भारत के फैंस को भी प्रेरित करता है।
एक और बात जो रियल मैड्रिड को अलग बनाती है, वो है उनका स्टेडियम – सैंटियागो बर्नब्यू। ये सिर्फ़ एक स्टेडियम नहीं, बल्कि एक तीर्थस्थल है। 2024 में इसका रिनोवेशन पूरा हुआ, जिसकी लागत थी ₹9000 करोड़। भारत में अगर आप किसी बड़े मॉल या मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत देखें, तो ये उससे भी ज़्यादा है। लेकिन इस स्टेडियम की खासियत है कि ये फैंस को एक अनोखा अनुभव देता है। मैंने एक भारतीय फैन का ब्लॉग पढ़ा था, जिसमें उसने बताया कि बर्नब्यू में मैच देखना ऐसा था जैसे स्वर्ग में हों। उसने ₹25000 का टिकट लिया था, और कहा कि हर पैसे की कीमत वसूल हुई। ये स्टेडियम क्लब की ब्रांड वैल्यू को और बढ़ाता है।
अब बात करते हैं भारत में रियल मैड्रिड के फैनकल्चर की। यहाँ फैंस सिर्फ़ मैच नहीं देखते, बल्कि पूरी ज़िंदगी उसमें डूब जाते हैं। मैंने अपने दोस्त के साथ 2017 की चैंपियंस लीग फाइनल देखी थी, जब रियल ने जुवेंटस को 4-1 से हराया। हम रात के 2 बजे दिल्ली के एक कैफे में थे, जहाँ 50-60 लोग रियल की जर्सी में चिल्ला रहे थे। उस रात चाय और समोसे की दुकान भी खूब चली। भारत में फुटबॉल देखना सिर्फ़ स्पोर्ट नहीं, बल्कि एक सोशल इवेंट है। लोग ₹500-₹1000 खर्च करके पब में मैच देखते हैं, और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के लिए डिज़्नी+हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन लेते हैं, जो महीने का ₹299 से शुरू होता है। ये सब रियल मैड्रिड के ग्लोबल इम्पैक्ट को दिखाता है।
आखिर में, रियल मैड्रिड की जीत की असली वजह क्या है? मेरे ख्याल से, ये सब कुछ का मिश्रण है – टैलेंट, रणनीति, पैसा, और सबसे ज़रूरी, जुनून। भारत में हम कहते हैं कि “दिल से खेलो, जीत पक्की।” रियल मैड्रिड वही करता है। वो सिर्फ़ एक क्लब नहीं, बल्कि एक सपना है, जो लाखों फैंस को जोड़ता है। अगली बार जब आप रात को लैपटॉप पर मैच देखें, और चाय की चुस्की लें, तो ज़रा सोचिएगा कि उस स्क्रीन के पीछे कितनी मेहनत, कितनी कहानियाँ, और कितना जुनून है। रियल मैड्रिड की जीत सिर्फ़ ट्रॉफी नहीं, बल्कि उस जुनून की जीत है।