लेंसकार्ट की आँखों की रोशनी: चुनौतियों से उभरती एक कंपनी

2010 में पेपाल माफिया के एक मेंबर, पीयूष बंसल ने लेंसकार्ट की शुरुआत की, लेकिन ऑनलाइन चश्मा बेचने का विचार उस समय हास्यास्पद लगता था। लोग चश्मे को ऑनलाइन खरीदने से हिचकते थे क्योंकि वे इसे पहले आजमाना चाहते थे। पहली चुनौती थी ग्राहकों का भरोसा जीतना। लेंसकार्ट ने होम ट्रायल की सुविधा शुरू की, जिसने गेम बदल दिया। लेकिन इसके लिए लॉजिस्टिक्स में भारी निवेश करना पड़ा। शुरुआती सालों में, 40% ऑर्डर रिटर्न हो जाते थे, जिससे घाटा बढ़ता गया। दूसरी चुनौती थी आपूर्ति श्रृंखला। भारत में चश्मे की मैन्युफैक्चरिंग सीमित थी, और आयात महंगा पड़ता था। पीयूष ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की, जिसने लागत 30% कम की। तीसरी चुनौती थी प्रतिस्पर्धा। टाइटन और लोकल ऑप्टिशियन्स के सामने अपनी जगह बनाना मुश्किल था। 2016 में, लेंसकार्ट को $60 मिलियन की फंडिंग मिली, लेकिन 2020 में कोविडड ने ऑफलाइन स्टोर्स को बंद कर दिया। लेंसकार्ट ने ऑनलाइन नेत्र जांच शुरू की, जिससे बिक्री फिर बढ़ी। आज, लेंसकार्ट 4 देशों में है और 2024 में इसकी आय 1500 करोड़ रुपये से अधिक है। पीयूष की कहानी हमें सिखाती है कि ग्राहक की जरूरत को समझना किसी भी स्टार्टअप की जान होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *