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जोमाटो की भूख: फूड डिलीवरी के रास्ते की मुश्किलें

The Wolf, June 12, 2025June 13, 2025

2008 में, दीपिंदर गोयल ने फूडज़ैप शुरू किया, जो बाद में जोमाटो बना। लेकिन एक छोटे से मेनू स्कैनिंग टूल से भारत की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी बनने की कहानी आसान नहीं थी। शुरुआत में, रेस्तरां मालिक अपने मेन्यू को ऑनलाइन डालने के लिए तैयार नहीं थे।। पहली चुनौती थी पार्टनर बनाना। दीपिंदर ने खुद सैकड़ों रेस्तरां का दौरा किया और उन्हें समझाया।। दूसरी चुनौती थी फंडिंग।। 2013 तक, जोमाटो को केवल $2.5 मिलियन की फंडिंग मिली थी, और घाटा बढ़ रहा था।। तीसरी चुनौती थी प्रतिस्पंधा।। स्विगी और उबर ईट्स के आने से डिस्काउंट की जंग शुरू हो गई, जिसने जोमाटो के मुनाफे को नुकसान में बदल दिया।। 2020 में, कोविड ने रेस्तरां इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया, और जोमाटो को अपने 13% कर्मचारियों को निकालना पड़ा।।। लेकिन जोमाटो ने हाइपरप्योर और किराने की डिलीवरी जैसे नए क्षेत्रों में कदम रखा।। 2021 में, जोमाटो का आईपीओ $1.6 बिलियन जुटाकर आया, और 2024 तक कंपनी के 2 करोड़ मासिक ऑर्डर हैं।। दीपिंदर की कहानी हमें सिखाती है कि बदलते समय के साथ बदलना ही जीवित रहने का रास्ता है।।

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